Sunday 6 November 2022

वाल पेपर

 वाल पेपर


               पोतई लिपई छभई मुँदई बड़ महिनत लगथे देवारी बुता म, फेर आज नवा जमाना म वाल पेपर के एंट्री सबे चीज ले छुटकारा देय के ताकत रखथे, बशर्ते वाल होय। साज सज्जा के इही क्रम म, अमेजन  म वाल पेपर छाँटत बेरा,जुन्ना सुरता मन म आगे।

               वाल केहे त दीवाल अउ पेपर केहे त पेपर, माने दीवाल म चिपकाय वाले पेपर। येमा "वाल पेपर" कहे ले भारी वजन बढ़ जावत हे, फेर वाल माने दीवाल,,  ठेठ भाँखा म कहन त कोठ---। कुछ सुरता आइस? हॉं कोठ अउ पेपर काहत हँव। एक जमाना रिहिस जब माई खोली, परछी, रसोई जमे जघा देख देख के कोठ म पेपर ठेंसाय रहय, फेर सो पिस बर नही ओखरो कारण रहय। हाड़ी खोली धुँवा म झन रचे, खूँटी म टँगाय कपड़ा म छूही झन रचे आदि आदि।  हमर कस नवा लइका मन अपन अपन खोली म हीरो हीरोइन के फोटू वाले पेपर ल, सो पीस बरोबर घलो चिपकावन। कुरिया, परछी बने घलो दिखे अउ ओन्हा कोठ मइलाय घलो नही। शनिवार अउ इतवार के ज्यादातर रंगीन पेपर आवय। रतिहा होय के पहली दुकानदार ल चार आना देके, मैं खुद घर लाके कतको बेर अपन कुरिया म रंगबिरंगी  पेपर लगाये हँव। हो सकथे,आपो मन लगाये होहू, फेर रंगीन अउ सादा पेपर आपके मिजाज अउ उपलब्धता अनुसार होही।

                        खैर छोड़व, तइहा के बात ल बइहा लेगे। आज चकाचौध के दुनिया म  कोठ(वाल) बर, रंग रंग के पेंट, पुट्टी, टाइल्स, मार्बल आगे हे। इँखर माँग घलो भारी हे, अउ मोटहा रकम घलो तो ढिल्ला करे बर लगथे। फेर आज तुरते ताही अच्छा देखाय बर, वाल पेपर के माँग भारी बढ़त जावत हे, पेंट पुट्टी टाइल्स मार्बल कस मनमोहक घलो दिखथे। हाँ भले जादा टिकाउ नइ रहे, फेर टिकई ल कोन देखत हे, आहा जिनगीच ह, नइ टिकाऊ हे त का पेंट, पुट्टी अउ पेपर?  कथे दुनिया गोल हे, त दुनिया म होवइया जमे चीज घलो घूमत रहिथे, चीज उही रथे, रूप या फेर नाम बदल जाथे। इही क्रम म वाल  पेपर घलो हे, कोठ के जघा सीमेंटेड दीवाल अउ पेपर के जघा रंग रंग के स्टिकर अउ डिजाइनिंग पेपर। अखबारी पेपर के जघा इही वाल पेपर छाये हे, चाहे बेडरूम होय, किचन या फेर बैठक। येमा किचन म चपके पेपर तेल, फूल के दाग ले बचे बर हो सकथे, फेर हाल, बैठक, बेडरूम आदि म सो पीस बरोबर ही मिलथे। वर्तमान म वाल पेपर के माँग भारी बढ़त जावत हे, काबर कि पोते लीपे के झंझट नही अउ सस्ता के सस्ता, टिकाऊ ल कोन देखत हे। 

                 एक समय लिखो फेको के अलग से पेन आय, जेमा रिफिल भरा के दुबारा नइ लिखत रेहेन, फेर आज सबे पेन लिखो फेको होगे हे, बिरले लिखइया रिफिल डाल के अउ बउरत होही। सस्ता अउ लिखो फेको के अत्तिक पावर  हे कि कोनो भी बने चीज के उपलब्धता अउ कीमत कम होय ले उहू चीज घलो लिखो फेको हो जथे। मोर केहे के मतलब ये हे कि मनखे के रुझान अइसने हे, यूज एंड थ्रो वाला। आसपास सब देखते हन ,, चीज बस का नत्ता रिस्ता घलो इही म सवार होवत हे,,,।     

                         आज के सोच अउ समय ल देखत,कहूँ वाल पेपर कस चकाचोंध अउ चरदिनिया चीज कोती सबे के रुझान चल देही, त पेंट पुट्टी टाइल्स कस टिकाऊ अउ मूलभूत चीज के मरना हो जही। ये जमाना के सोच चिरहा कथरी म चमचमावत खोल धराये वाला हे। कतको जघा बिना लीपे पोते घलो वाल पेपर चिपके दिखथे, ये थोरे जुन्ना जमाना के कोठ हरे,जेमा पोते लीपे के बाद ही अखबारी पेपर चिपके। आज  घर तो घर मनखे मनके रहन सहन चाल चलन घलो वाल पेपर बरोबर होते जावत हे, जे बाहिर ले चमचमावत हे, फेर भीतर ल कोन जाने पोताय लिपाय हे,कि नही।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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