कइसे दिखिस देवारी
मंद मउहा मा मनमाड़े, सनाय दिखिस देवारी।
उजराय कम, जादा मइलाय दिखिस देवारी।।
गाय गरुवा, मरत कटत रहिगे रोड मा।
कुकूर ला गला, लगाय दिखिस देवारी।।
मेवा मिठाई देख, मुँहूँ फुलाय मिलिस।
माँस मटन मा, अघाय दिखिस देवारी।।
गिन के बरिस दीया, गिन के मिलिस जिया।
दिखावा के झालर मा, पटाय दिखिस देवारी।
न दफड़ा न सींग न दमउ, न पूजा न पाठ।
तोर मोर के झगरा मा, चिथाय दिखिस देवारी।
का फटाका का मिठाई, अउ का तेल बाती।
महँगाई मा बनेच, ललाय दिखिस देवारी।।
यार परिवार बर अंतस के, फूल होगे मेमोरी।
मोबाइल कैमरा मा, समाय दिखिस देवारी।।
बता अपन छाती मा, हाथ मढ़ा के तहूँ हा।
का पहली कस मूड़, उँचाय दिखिस देवारी।
असल मा मुँह मुँहरन सबे तो, उतरे दिखिस।
गीत कविता फोटू मा, लुकलुकाय दिखिस देवारी।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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