Sunday 6 November 2022

....देवारी आगे.....

 .......देवारी आगे.....

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उज्जर  -  उज्जर   घर     दुवार,

उज्जर-उज्जर बखरी-बारी लागे।

घरो   -     घर     खुसी      लेके,

देख         देवारी            आगे।


ददा डार  देहे  दू  डुवा,

तेल उपरहा  दिया   म।

चुक-चुक ले लिपाय हे,

सुत जा घलो भिंया म।


दाई के हाथ लऊहा-लऊहा,

चलत     हवे     हाँड़ी    म।

कुकुर-बिलई ताकत हे रोटी,

बइठे  -  बइठे    भाँड़ी   म।


कखरो    घर   नवा     सइकिल,

त कखरो घर नवा  गाड़ी  आगे।

घरो   -     घर     खुसी      लेके,

देख         देवारी            आगे।


छभा-मूँदा लिपा-पोता के,

खुसी  म हाँसत  हे कोठ।

छुरछुरी टिकली बत्ती धरे,

लइकामन नाचत हे पोठ।


गाय - बछरू बइला-भँइस्सा,

चिक्कन-चिक्कन दिखत हे।

आनी - बानी    के   जिनिस,

जघा  - जघा    बिकत    हे।


दोहा    पारे      कांछर      उन्डे,

ददंग  -  ददंग   दफड़ा     बाजे।

घरो   -     घर     खुसी      लेके,

देख         देवारी            आगे।


रतिहा तुलसी चँवरा रिगबिगात हे।

दुवार भर बहिनी मन रंगोली बनात हे।

ओनहा-कोनहा म दिया बरत हे।

बरा - भजिया महर-महर करत हे।


सइमो  - सइमो  करे  गली  खोर,

बईगिन  घर  गौरी  - गौरा  जागे।

घरो   -     घर     खुसी      लेके,

देख         देवारी            आगे।


दाई लछमी के  पाँव,घरो-घर परे हे।

बइरी-मितवा सबो बर , मया भरे हे।

गांव के गांव एक जघा सकलाय हे।

देवारी सब बर  , मया  धर आय हे।


अलिन-गलिन ल का कहिबे,

मन म घलो ऊजियारी छागे।

घरो   -  घर     खुसी    लेके,

देख    देवारी            आगे।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको(कोरबा)

9981441795

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