.......देवारी आगे.....
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उज्जर - उज्जर घर दुवार,
उज्जर-उज्जर बखरी-बारी लागे।
घरो - घर खुसी लेके,
देख देवारी आगे।
ददा डार देहे दू डुवा,
तेल उपरहा दिया म।
चुक-चुक ले लिपाय हे,
सुत जा घलो भिंया म।
दाई के हाथ लऊहा-लऊहा,
चलत हवे हाँड़ी म।
कुकुर-बिलई ताकत हे रोटी,
बइठे - बइठे भाँड़ी म।
कखरो घर नवा सइकिल,
त कखरो घर नवा गाड़ी आगे।
घरो - घर खुसी लेके,
देख देवारी आगे।
छभा-मूँदा लिपा-पोता के,
खुसी म हाँसत हे कोठ।
छुरछुरी टिकली बत्ती धरे,
लइकामन नाचत हे पोठ।
गाय - बछरू बइला-भँइस्सा,
चिक्कन-चिक्कन दिखत हे।
आनी - बानी के जिनिस,
जघा - जघा बिकत हे।
दोहा पारे कांछर उन्डे,
ददंग - ददंग दफड़ा बाजे।
घरो - घर खुसी लेके,
देख देवारी आगे।
रतिहा तुलसी चँवरा रिगबिगात हे।
दुवार भर बहिनी मन रंगोली बनात हे।
ओनहा-कोनहा म दिया बरत हे।
बरा - भजिया महर-महर करत हे।
सइमो - सइमो करे गली खोर,
बईगिन घर गौरी - गौरा जागे।
घरो - घर खुसी लेके,
देख देवारी आगे।
दाई लछमी के पाँव,घरो-घर परे हे।
बइरी-मितवा सबो बर , मया भरे हे।
गांव के गांव एक जघा सकलाय हे।
देवारी सब बर , मया धर आय हे।
अलिन-गलिन ल का कहिबे,
मन म घलो ऊजियारी छागे।
घरो - घर खुसी लेके,
देख देवारी आगे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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