अमर गीतकार गायक कवि माटी पूत मस्तूरिया जी ला शत शत नमन
(गीत)
छत्तीसगढ़ के शान, मस्तूरिहा।
गायक कवि महान, मस्तूरिहा।
सत सुम्मत सिरजाइस, माटी के गुण गाइस।
जन जन के अभिमान, मस्तूरिहा।
नइ हो सकै ये दुनिया मा,
ओखर जइसन कोई।
माटी महतारी ह रोवै,
अइसन बेटा खोई।
दया मया के सागर, गुण ज्ञान मा आगर।
छेड़िस सुर अउ तान, मस्तूरिहा।
छत्तीसगढ़ के शान, मस्तूरिहा।
गायक कवि महान, मस्तूरिहा।
अमर गीत हे माटी पूत के,
अमर हे ओखर काया।
अन्तस् मन म सबके रइही,
मया मीत के छाया।
गूँजे गली गली मा, जल थल पेड़ कली मा।
गावै जरा जवान,मस्तूरिहा।
छत्तीसगढ़ के शान, मस्तूरिहा।
गायक कवि महान, मस्तूरिहा।
शब्द शब्द मा गूढ़ गोठ हे,
थेभा छोट बड़े के।
मस्तूरिहा के शब्द निसेनी,
उप्पर डहर चढ़े के।
बोहय मधुरस धार, भागय आलस हार।
नइ माँगिस सम्मान, मस्तूरिहा।
छत्तीसगढ़ के शान, मस्तूरिहा।
गायक कवि महान, मस्तूरिहा।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
खैरझिटिया
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कुंडलियाँ छ्न्द- मस्तुरिहा जी
मधुरस घोरे कान मा, मन ला लेवै जीत।
लोक गीत के प्राण ए, मस्तुरिया के गीत।
मस्तुरिया के गीत, सुनाथे जन के पीरा।
करदिस हे अनमोल, बना माटी ला हीरा।
करिस जियत भर काम, कभू नइ बोलिस हे बस।
माटी पूत महान, सदा बरसाइस मधुरस।
छोड़िस नइ स्वभिमान ला, सत के करिस बखान।
बनिस निसेनी मीत बर, बइरी मन बर बान।
बइरी मन बर बान, गिराइस हे मस्तुरिया।
दया मया सत घोर, बनाइस हे घर कुरिया।
कलम चला गा गीत, सदा मनखे ला जोड़िस।
अमरे बर आगास, कहाँ माटी ला छोड़िस।
जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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हरिगीतिका छंद - जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
माने नही मन मोर जी,मस्तूरिहा के गीत बिन।
सुनके जिया मा जोश आथे,मन अघाथे जीत बिन।
सरसर करे पुरवा पवन मस्तूरिहा के गीत गा।
सबके सहारा गंग धारा वो मया अउ मीत गा।1।
चारो दिशा रोवत हवै,रोवत हवै घर खेत हा।
सुरता म आँसू नित ढरकथे,छिन हराथे चेत हा।
पानी पवन जब तक रही,तब तक रही मस्तूरिहा।
रहही जिया मा घर बना,होवय कभू नइ दूरिहा।2।
हीरा असन सिरजाय हे,छत्तीसगढ़ के धूल ला।
माली बने महकाय हे,साहित्य के वो फूल ला।
भभकाय हे जे धर कलम,आगी ल सोना खान के।
नँदिया लबालब जे भरे,संगीत अउ सुर तान के।3।
हारे थके मन गीत सुन,रेंगें मया धर संग मा।
सँउहत दिखे छत्तीसगढ़,संगीत के सतरंग मा।
कतको चिरैया चार दिन,खिलके इहाँ मतवार हे।
महके हवै मस्तूरिहा, छत्तीसगढ़ गुलजार हे।4।
अतका करे कोनो नहीं,जतका करे हे काम वो।
बाँटिस मया ममता सदा,माँगिस कहाँ पद नाम वो।
हे लेखनी जादू भरे,अउ का कहँव सुर ताल के।
मधुरस असन सब गीत हे, छत्तीसगढ़ के लाल के।5।
कइसे उदासी छाय हे,मन के सुवा मा देख ले।
नइहे भले तन हा इँहा,पर नाँव छा हे लेख ले।
वो नाँव के सूरज सदा,चमकत हवै आगास मा।
दुरिहाय हावै तन भले,सुरता हवै नित पास मा।6।
जब जब खड़े कविता पढ़े,बाँटे मया अउ मीत ला।
कतको घरी देखे हवँव,बाढ़े हवँव सुन गीत ला।
कर खैरझिटिया जोड़ के,पँउरी परै वो लाल के।
अन्तस् बसाके नाँव ला,नैना म सुरता पाल के।7।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा) छत्तीसगढ़
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