Sunday 6 November 2022

नेवता- मातर हे मोर गाँव म -------------------------------

 नेवता- मातर हे मोर गाँव म

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देवारी के बिहान दिन,

मातर हे मोर गाँव  म।

नेवता  हे झारा-झारा,

उघरा राचर हे मोर गाँव म।

देवारी  के  बिहान दिन,

मातर हे  मोर  गाँव  म।


गाँव-गुढ़ी   के  मान  म।

सकलाबोन गऊठान म।

राऊत भाई मन,मातर जागही।

सिंग - दमऊ - दफड़ा बाजही।

खीर-पुड़ी  बरा-सोंहारी संग

घरो-घर चूरे,अंगाकर हे मोर गाँव म।

देवारी  के  बिहान दिन,

मातर हे  मोर  गाँव  म।


गाय-गरु संग,गाँव के गाँव नाचही।

अरे  ररे  हो कहिके,दोहा  बाँचही।

डाँड़   खेलाही , गाय - बछरू   ल,

खीर  -  पुड़ी  के ,परसाद  बाँटही।

अंगना -दुवारी कस, सबके जिया,

चातर हे मोर गाँव म।

देवारी के बिहान दिन,

मातर हे मोर गाँव  म।


घरो-घर गोबरधन,

भगवान  देख ले।

मेमरी-सिलिहारि 

संग खोंचाय हे,

धान  देख   ले।

डोली-डंगरी,गली-खोर संग,

नाचे लइका-सियान देख ले।

मया मोठ हे,

बैर पातर हे मोर गाँव म।

देवारी  के  बिहान  दिन,

मातर  हे  मोर  गाँव  म।

नेवता   हे    झारा-झारा,

घरो-घर   उघरा राचर हे,

मोर   गाँव   म---------।


जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"

बालको(कोरबा)

9981441795

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