नेवता- मातर हे मोर गाँव म
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देवारी के बिहान दिन,
मातर हे मोर गाँव म।
नेवता हे झारा-झारा,
उघरा राचर हे मोर गाँव म।
देवारी के बिहान दिन,
मातर हे मोर गाँव म।
गाँव-गुढ़ी के मान म।
सकलाबोन गऊठान म।
राऊत भाई मन,मातर जागही।
सिंग - दमऊ - दफड़ा बाजही।
खीर-पुड़ी बरा-सोंहारी संग
घरो-घर चूरे,अंगाकर हे मोर गाँव म।
देवारी के बिहान दिन,
मातर हे मोर गाँव म।
गाय-गरु संग,गाँव के गाँव नाचही।
अरे ररे हो कहिके,दोहा बाँचही।
डाँड़ खेलाही , गाय - बछरू ल,
खीर - पुड़ी के ,परसाद बाँटही।
अंगना -दुवारी कस, सबके जिया,
चातर हे मोर गाँव म।
देवारी के बिहान दिन,
मातर हे मोर गाँव म।
घरो-घर गोबरधन,
भगवान देख ले।
मेमरी-सिलिहारि
संग खोंचाय हे,
धान देख ले।
डोली-डंगरी,गली-खोर संग,
नाचे लइका-सियान देख ले।
मया मोठ हे,
बैर पातर हे मोर गाँव म।
देवारी के बिहान दिन,
मातर हे मोर गाँव म।
नेवता हे झारा-झारा,
घरो-घर उघरा राचर हे,
मोर गाँव म---------।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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