Monday 18 December 2023

आल्हा छंद(संत गुरु घासीदास) - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 


आल्हा छंद(संत गुरु घासीदास) - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


हमर राज के  धन धन माटी, बाबा लेइस हे अवतार।

सत के सादा झंडा धरके,रीत नीत ला दिहिन सुधार।


जात पात अउ छुआ छूत बर, खुदे बनिस बाबा हथियार।

जग के खातिर अपने सुख ला,बाबा घासी दिहिन बिसार।


रूढ़िवाद ला मेटे खातिर,सदा करिस बढ़ चढ़ के काम।

हमर राज के कण कण मा जी,बसे हवे बाबा के नाम।


बानी मा नित मिश्री घोरे,धरम करम के अलख जगाय।

मनखे मनखे एक बता के,सुम्मत के रद्दा देखाय।


संत हंस कस उज्जर चोला,गूढ़ ग्यान के गुरुवर खान।

अँवरा धँवरा पेड़ तरी मा,बाँटे सबला सत के ज्ञान।


जंगल झाड़ी ठिहा ठिकाना,बघवा भलवा घलो मितान।

मनखे मन मा प्रीत जगाइस,सत के सादा झंडा तान।


झूठ बसे झन मुँह मा कखरो, खावव कभू न मदिरा माँस।

बाबा घासी जग ला बोले, धरम करम साधौ नित हाँस।


दुखिया मनके बनव सहारा,मया बढ़ा लौ बध लौ मीत।

मनखे मनखे काबर लड़ना,गावव सब झन मिलके  गीत।


सत के ध्वजा सदा लहरावय,सदा रहे घासी के नाँव।

जेखर बानी अमरित घोरे,ओखर मैं महिमा नित गाँव।


रचनाकार -  श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

9981441795

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