विकास बर विनास(गीत)
फकत लकड़हारा अउ, टँगिया बदनाम हे।
हाथ म विकास के, जल जंगल नीलाम हे।
सड़क झड़क दिस, भात बासी रुक्ख ला।
बेबस हे पर्यावरण, कहय काय दुक्ख ला।
सुख सुविधा स्वारथ मा, लूट खुले आम हे।
हाथ म विकास के, जल जंगल नीलाम हे।।
जंगल मा कब्जा, व्यपारी के हो गे।
खुले कारखाना, खेती बाड़ी सो गे।
जहर महुरा उगले, तभो नइ लगाम हे।।
हाथ म विकास के, जल जंगल नीलाम हे।
भुइयाँ खोदागे, सोन चाँदी के आस मा।
जल जंगल बेचागे, शहरी विकास मा।।
नवा नवा मसीन मा, कटत पेड़ तमाम हे।।
हाथ म विकास के, जल जंगल नीलाम हे।
सरकारी आदेश मा, पेड़ पहाड़ कटगे।
भुइयाँ सुरंग बनगे, नदी नरवा पटगे।।
पेड़ लगाओ कहिके, चोचला सुबे शाम हे।।
हाथ म विकास के, जल जंगल नीलाम हे।।
मरे जिवो होवत हे, प्रकृति के क्षरण।
नेत नियम भुलागे, हावय पर्यावरण।
बेमौसम हवा पानी, मरत ले घाम हे।
हाथ म विकास के, जल जंगल नीलाम हे।।
जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
जरूर देखव-
https://youtu.be/qG4BPW_ssNw
हसदेव अरण्य बचाओ,, छत्तीसगढ़ बचाओ।।
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