किरदार-हरिगीतिका छंद
कखरो इशारा मा नहीं अउ ना फँसे जंजाल मा।
जिनगी सदा नाँचत बिते कर्मा ददरिया ताल मा।।
टीका लगा कुंकुंम सही माटी वतन के माथ मा।
कलगी लगा पागा सजा थिरकँव सँगी मन साथ मा।।
बोझा मुड़ी मा बोह के संस्कृति परब संस्कार के।
सबके जिया मा घर बनावँव लोभ लालच झार के।।
आँसू कभू डर दुक्ख मा कखरो नयन ले झन झरे।
विनती करँव कर जोर के सुख शांति सत सब घर भरे।।
पंथी सुआ कर्मा ददरिया पंडवानी भोजली।
भगवत रमायण रामधुनि गौरा गुँजय गाँवे गली।।
मनखे जुरें बिसराय बर दुख नाच गम्मत संग मा।
देखत हबर जायें खुशी सब जायँ रच सुख रंग मा।।
मधुरस झरे हर मंच मा जादू चले संगीत के।
गाना बजाना ले तको शिक्षा मिले नित नीत के।।
छोटे बने सीखत रहँव किरपा करे करतार हर।
जिनगी रहे या मंच कोई लौं निभा किरदार हर।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
कार्यक्रम- NTPC के सौजन्य से, डॉ अंबेडकर ऑडिटोरियम ntpc कोरबा में(गौरवशाली महिला स्वयं सहायता समूह बालकोनगर द्वारा)
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