Monday 18 December 2023

आहे जाड़ रे(गीत)

 आहे जाड़ रे(गीत)


आहे जाड़ रे, आहे जाड़ रे।

आहे जाड़ रे,आहे जाड़ रे।

बूता धरके मोर गाँव म हजार रे,,,,,।


अधनिंदियाँ दाई उठ के पहाती,

सिधोवत हे लकर धकर चूल्हा चाकी।

खेत कोती जाये बर ददा ह मोरे,

उठ के बिहनिया चटनी बासी झोरे।

बबा तापत हे, आगी भूर्री बार रे,,,,,,,।

आहे जाड़ रे, आहे जाड़ रे,,,,,,,,,,,,,,।


धान ह काहत हवै, जल्दी घर लान।

बियारा ह काहत हवै, जल्दी दौंरी फाँद।

चना गहूँ रटत हे, ओनार जल्दी मोला।

दुच्छा हौं कहिके, खिसियात हवै कोला।

सइमो सइमो करय, खेत खार रे,,,,,,,,,।

आहे जाड़ रे, आहे जाड़ रे,,,,,,,,,,,,,,,,।


थरथराये चोला गजब हुहु हुहु कापे।

डबकत पानी कस,मुँह ले निकले भापे।

तभो ले कमइया के बूता चलत हे।

दया मया मनखे बीच, जँउहर पलत हे।

कोन पाही कमइया के, पार रे,,,,,,,,,,।

आहे जाड़ रे, आहे जाड़ रे,,,,,,,,,,,,,,।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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