दारू पीके सीसी फोड़े- सार छंद
दारू पीके सीसी फोड़े, करथें अतियाचारी।
पेट पाँव कतको के कटगे, बहे लहू के धारी।।
पार्टी पिकनिक कहिके रोजे, नदी पहाड़ म जाके।
खाये पीये नाँचे गाये, पर्यावरण मताके।।
काँचे काँच म पटगे हावै, नदी बाट बन बारी।
दारू पीके सीसी फोड़े, हत रे अतियाचारी।।
समझाये दरुहा ला कउने, सुने बात ना बानी।
माते ताहन करे बिगाड़ा, होरा भूंजे छानी।।
धरहा धरहा काँच देख के, काँपे पोटा भारी।
दारू पीके सीसी फोड़े, हत रे अतियाचारी।।
दरुहा मन के करनी के फल, आने कोनो भोगे।
लइका लोग सियान कई के, बड़ करलाई होगे।।
हाय लगे हत्यारा मन ला, थमे काज ये कारी।
दारू पीके सीसी फोड़े, हत रे अतियाचारी।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
*पार्टी सार्टी करो फेर सीसी बॉटल ला फोड़ के कखरो हाय झन लेवव*
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