🌾🌾मोर महिनत🌾🌾
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तउलागे तराजू बॉट म मोर महिनत।
बेंचागे मंडी हाट म मोर महिनत।।
अबड़ दिन सिधोयेव,जांगर टोर-टोर के,
सकलागे दुई दिन रात म मोर महिनत।
चर्ररस-चर्ररस चलिस,हँसिया धान मा,
गँजागे करपा बन, पाँत म मोर महिनत।
लुवागे, सकलागे, मिंजाके भरागे बोरा म,
गड़त हे ब्यपारी के दाँत म मोर महिनत।।
तउल दिस लकर धकर, दे दिस दाम औने-पौने ,
चार ठन कागज बन,माड़े हे ऑट म मोर महिनत।
सपना संजोये रेहेंव, हँरियर धान ला नाचत देख,
दाना के दाम म दबगे,एके साँस म मोर महिनत।
उधार-बाड़ी,लागा-बोड़ी छुटत-छुटत,
कुछु नइ बांचिस, हाथ म मोर महिनत।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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