दोहा--
धन्वन्तरि भगवान के , तेरस मा गुण गाव।
धनबल यस जस शांति सुख, सुमिरन करके पाव।।
धनतेरस-सार छंद
धन्वंतरि कुबेर के सँग मा, आबे लक्ष्मी दाई।
धनतेरस मा दीप जलाके, करत हवौं पहुनाई।।
चमकै चमचम ठिहा ठौर हा, दमकै बखरी बारी।
धन तेरस के दीया के सँग, आगे हे देवारी।।
भोग लगावौं फूल हार अउ , नरियर खीर मिठाई।
धन्वंतरि कुबेर के सँग मा, आबे लक्ष्मी दाई।।
रखे सबे के सेहत बढ़िया , धन्वंतरि देवा हा।
करै कुबेर कृपा सब उप्पर, बरसै धन मेवा हा।।
सुख समृद्धि देबे सब ला, धन वैभव बरसाई।
धन्वंतरि कुबेर के सँग मा, आबे लक्ष्मी दाई।।
देवारी कस सब दिन लागै, सबदिन बीतै सुख मा।
मनखे बन जिनगी जे जीये , दबे रहै झन दुख मा।
काय जीव का मनखे तनखे, दे सुख सब ला माई।
धन्वंतरि कुबेर के सँग मा, आबे लक्ष्मी दाई।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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सेहत सब ले बड़का धन- सार छन्द
जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।
सेहत सबले बड़का धन ए, धन दौलत धन जाली।।
काली बर धन जोड़त रहिथस, आज पेट कर उन्ना।
संसो फिकर करत रहिबे ता, काल झुलाही झुन्ना।।
तन अउ मन हा हावय चंगा, ता होली दीवाली।
जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।।
खाय पिये अउ सुते उठे के, होय बने दिनचरिया।
काया काली बर रखना हे, ता रख तन मन हरिया।
फरी फरी पी पुरवा पानी, देख सुरुज के लाली।
जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।।
हफर हफर के हाड़ा टोड़े, जोड़े कौड़ी काँसा।
जब खाये के पारी आइस, अटके लागिस स्वाँसा।।
उपरे उपर उड़ा झन फोकट, जड़ हे ता हे डाली।
जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
भगवान धन्वंतरि ला स्वस्थ सुखी रखे।।।
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