Thursday 13 May 2021

अक्ती तिहार(दोहा चौपाई)

 अक्ती तिहार(दोहा चौपाई)


उल्लाला-

*बेरा मा बइसाख के,तीज अँजोरी पाख के।*

*सबे तीर मड़वा गढ़े,अक्ती भाँवर बड़ पड़े।*


हरियर मड़वा तोरन तारा,सजे आम डूमर के डारा।

लइका लोग सियान जुरें हे,लीप पोत के चौक पुरें हे।


पुतरी पुतरा के बिहाव बर,सकलाये हें सबे गाँव भर।

बाजे बाजा आय बराती,मगन फिरय सब सगा घराती


खीर बरा लाड़ू सोंहारी,खाये जुरमिल ओरी पारी।

अक्ती के दिन पावन बेरा,पुतरी पुतरा लेवव फेरा।  


सइमो सइमो करे गली घर,सबे मगन हें मया पिरित धर।

अचहर पचहर परे टिकावन,अक्ती बड़ लागे मनभावन।


दोहा-

*परसु राम भगवान के,गूँजय जय जय कार।*

*ये दिन भगवन अवतरे,छाये खुसी अपार।।*


शुभ कारज के मुहतुर होवय,ये दिन खेती बाड़ी बोवय।

बाढ़य धन बल यस जस भारी,आस नवा बाँधे नर नारी।


माँगै पानी बादर बढ़िया,जुरमिल के सब छत्तीसगढ़िया।

दोना दोना धान चढ़ावय,दाइ शीतला ला गोहरावय।


सोना चाँदी कोनो लेवय,दान दक्षिणा कोनो देवय।

पुतरी पुतरा के बिहाव सँग,पिंवरावै कतको झन के अँग।


दोहा-

*देवी देवन ला मना,शुरू करे  सब  काज।*

*पानी बादर के परख,करे किसनहा आज।*


*करसी मा पानी मढ़ा,बारह चना डुबाय।*

*भींगय जतकेकन चना,ततके पानी आय।*


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

No comments:

Post a Comment