Thursday 13 May 2021

छंद के छ के होली-दोहा गीत

 छंद के छ के होली-दोहा गीत


"छंद के छ"के मंच मा, माते हावै फाग।

साधक सब जुरियाय हे,देवत हावै राग।


आज छंद परिवार मा,माते हवै धमाल।

सुधा सुनीता केंवरा,छीचत हवै गुलाल।

सरस्वती सुचि ज्योति शशि,चित्रा ला भुलवार।

आशा मीता मन लुका,करय रंग बौछार।

रामकली धानेश्वरी,भागे सबला फेक।

नीलम वासंती तिरत,लाने उनला छेक।

शोभा  संग तुलेश्वरी,गाये सुर ला पाग।

"छंद के छ"के मंच मा, माते हावै फाग----


बादल बरसत हे अबड़,धरे गीत अउ छंद।

ढोल बजाय दिलीप हा, मुस्की ढारे मंद।।

मोहन मनी मिनेश मिल,केतन मिलन महेंद्र।

गावत हे गाना गजब,मथुरा अनिल गजेंद्र।।

ईश्वर अजय अशोक सँग,हे ज्ञानू राजेश।

घोरे हावय रंग ला,भागय हेम सुरेश।।

मुचमुचाय जीतेन्द्र हा,भिनसरहा ले जाग।

"छंद के छ"के मंच मा, माते हावै फाग--------


दुर्गा दीपक दावना,सँग गजराज जुगेश।

श्लेष ललित सुखदेव ला,ताकय छुप कमलेश।

लीलेश्वर जगदीश सँग,बइहाये बलराम।

लहरे अउ कुलदीप के,करे चीट कस चाम।

पोखन तोरन मातगे,माते हे वीरेंद्र।

उमाकांत अउ अश्वनी,सँग माते वीजेंद्र।

सरा ररा सूर्या कहे,भिरभिर भिरभिर भाग।

"छंद के छ"के मंच मा,माते हावै फाग-----


पुरषोत्तम धनराज ला,खीचत हे संदीप।

कौशल रामकुमार मन,फुग्गा फेके छीप।

बोधन अउ चौहान के,रँगदिस गाल गुमान।

सत्यबोध राधे अतनु,भगवत हे परसान।।

राजकुमार मनोज हा,पूरन ला दौड़ाय।

अरुण निगम गुरुदेव हा,देखदेख मुस्काय।

सब साधक मा हे भरे,मया दया गुण त्याग।

"छंद के छ"के मंच मा,माते हावै फाग-----


बारह तेरह का कहँव, चौदह तक हे सत्र।

होली के भेजत हवँव, सबला बधई पत्र।

का जुन्ना अउ का नवा, सबे एक परिवार।

हमर लोक साहित्य के, बोहे हावै भार।

आगर कोरी पाँच हे,हमर छंद परिवार।

छूटे जिंखर नाम हे, उन सबला जोहार।

पहुना सत्यप्रकाश हे, हमर जगे हें भाग।

"छंद के छ"के मंच मा,माते हावै फाग-----


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को कोरबा

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