छंद-कुंडलियाँ छंद
काली के सब काम ला,आजे देवव टार।
काली काली झन रटव,आजे हावय सार।
आजे हावय सार,आज मा जीना चाही।
बीते बेर बिसार,तभे सुख के दिन आही।
करव बने नित काम,रहव झन कभ्भू खाली।
रखव मया सत साथ ,पता का होही काली।1।
बारव जोती ज्ञान के,अन्तस् मन उजराव।
सोच सदा बढ़िया रखव,मान गउन नित पाव।
मान गउन नित पाव,करौ झन कारज गिनहा।
ये काया अनमोल,छोड़ लव एखर चिनहा।
भरम भूत दुरिहाव,जिया के जाला झारव।
मन राखव नित साफ,द्वेष इरसा ला बारव।2।
जामे नान्हे पेड़ हे,एती वोती देख।
समय हवै बरसात के,लेवौ बने सरेख।
लेवौ बने सरेख,बगीचा बाग बनालौ।
अमली आमा जाम,लगाके मनभर खालौ।
हवा दवा फर देय,पेंड जिनगी ला थामे।
बढ़िया जघा लगाव,मरे झन पौधा जामे।3।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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