Thursday 13 May 2021

कपड़ा(सखी छंद)

 कपड़ा(सखी छंद)


कपड़ा ले सब तन ढाँके,कपड़ा ले मनखे आँके।

कपड़ा महँगा जौने के,चारी होवय तौने के।1।।।


पट परिधान वसन नामे,अंबर चीर ह जग थामे।

चीर पहिर मारे सेखी,लेय जरे देखा देखी।2।।।।


टेरी काट ऊनी सूती, कपड़ा के मोजा जूती।

कपड़ा चद्दर कथरी मा,कपड़ा तंबू छतरी मा।3।


कपड़ा होथे डोला में,कपड़ा झंडा झोला में।

कपड़ा के होथे छन्नी,कपड़ा बन जाथे चन्नी।4।


कोटी कुर्था बंगाली,नीला पीला अउ लाली।

पहिरे साहब सर माली,कपड़ा कार्पेट त जाली।5।


टोपी टाई के थप्पी,पागा साफा कनचप्पी।

स्वेटर साल रहे चेंदी,गुँड़ड़ी बन गघरा पेंदी।6।


कपड़ा के बनथे पोंछा,कपड़ा के होय अँगोछा।

कपड़ा तिरपाल बने गा,पैरासुट जाल बने गा।7।


साज सजाना सामियाना,कपड़ा के ताना बाना।

कपड़ा के बैनर पर्दा,रोके रूमाल ह गर्दा।8।।।


कपड़ा के धुकनी पंखा,बटुवा मा राखय तंखा।

होथे कपड़ा के पाती,काम अबड़ नाना जाती।8।


कई किसम के कपड़ा हे,आज अबड़ जी लफड़ा हे।

कोई घूमय तन ढाके,कोई कटवाये नाके।9।।


फेसन के अब युग आगे,कपड़ा लत्ता ह कटागे।

बदलत हे अब पहिनाँवा,पश्चिम मारत हे झाँवा।10।


किसम किसम रंग म होथे,मोह मया कपड़ा मोथे।

कपड़ा के महिमा भारी,कइसे कर पावौं चारी।11।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)




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# 118

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Date: 2019-06-27

Subject: 


सखी छंद


मन चंगा अउ तन चंगा,तभे कठौती मा गंगा।

जेहर बिहना ले जागे,ओखर किस्मत हा भागे।


करे अलाली जौने हा, दुख पाये बड़ तौने हा।

भोजन खावै जे ताजा,ओहर काया के राजा।


सुध लेवय जे काया के,अधिकारी सुख माया के।

तन मा मदिरा जे डाले,वो बिखहर नागिन पाले।


गिनहा रद्दा जे जाये,गारी गल्ला वो खाये।

करम बने जेखर होथे,नींद ससन भर वो सोथे।


मीत मितानी जे राखे,ओखर अंजोरी पाखे।

फिकर करे जे काली के,पिंवरा पाना डाली के।


आज म जिनगी जे जीथे,वो हरदम अमरित पीथे।

मीठा बोली जे बोले,जिनगी मा मधुरस घोले।


बाते बड़े के जे माने,वो जिनगी जीना जाने।

धरम करम ला जे छोड़े,वो तकदीर अपन मोड़े।


पर पीरा मा जे हाँसे,अपन खुशी ला वो फाँसे।

जे बिरवा मा फर लागे,ओखर सब पाछे आगे।


बैर लड़ाई जे पाले,अपने जिनगी ला घाले।

छटकारे पर बर आँखी,झड़ जावव सुख के पाँखी।


जे पर बर खँचका कोड़े,ओखर गड्ढा मा गोड़े।

जौन दुवा सबके पाये,वोहर दुनिया मा छाये।


खैरझिटिया

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