Thursday 13 May 2021

छत्तीसगढ़ अउ कबीर साहेब

 छत्तीसगढ़ अउ कबीर साहेब


             वइसे तो कबीर साहेब छत्तीगढ़िया मनके अन्तस् म बसथे, तभो आज कबीर साहेब के महत्ता छत्तीसगढ़ के गाँव-शहर, गली-खोर म देखे के प्रयास करबों। हमर छत्तीसगढ़ का,भारत भर म अइसन कोनो मनखे नइ होही जेन कबीर साहेब नइ जानत होही। संत कबीर कोनो जाति समुदाय के नही बल्कि, थके हारे, दबे कुचले, दीन हीन मनखे के थेभा रिहिन। छत्तीगढ़ भर म कबीर दास जी के नाम म कतको लइका लोग अउ घर दुवार के नाम दिख जथे, संगे संग गली खोर, गांव शहर म कबीर चौक, कबीरचौरा, कबीर पारा आदि कतको ठन चौक चौराहा घलो दिखथे। रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, रायगढ़ जइसे बड़का शहर म घलो कबीर साहेब के नाम म पारा मुहल्ला घलो हे। *बालोद जिला के अंतर्गत कबीर साहेब के नाम म एक भव्य भवन हे, जेला ए डी  सर जी ह जनसहयोग ले बनवाये रिहिस।* *कोरबा म कबीरदास जी के नाम म बड़का वाचनालय सुशोभित हे।*  छत्तीसगढ़ म कबीर दास जी के कतका प्रभाव हे, ये कबीरधाम नाम के हमर जिला ले अंदाजा लगाये जा सकथे। कहे के मतलब कबीर के नाम म चौक, चौराहा ही नही बल्कि 28 ठन जिला म एक ठन जिला ही कबीरधाम नाम के हे, जेला कवर्धा घलो कथन। *सुने म आथे की अपन जीवन काल म कबीरदास जी महाराज सकरी नदी के तट म छत्तीसगढ़ पधारे रिहिन, अउ उही मेर धनी धरम दास जी अपन गद्दी स्थापित करिन, ते पाय के वो स्थान कबीरधाम कहिलाथे।*


                         मनखे मनखे नाम, घर दुवार, गली खोर अउ गाँव शहर मनके नाम म, कबीरदास जी रचे बसे हे, वइसनेच हमर राज के जुन्ना विधा नाचा म घलो कबीर साहेब के प्रभाव दिखथे। पहली समय म कम साधन अउ बिना साज सज्जा के खड़े साज के चलन रहिस। रवेली अउ रिंगनी नाच पार्टी वो बेरा म खूब देखे सुने जावत रिहिस, जेमा मुख्य रूप ले सन्त समाज अउ दर्शक दीर्घा ल कबीर भजन ही परोसे जाय। कबीर साहेब अउ नाचा के जब नाम आथे त *कबीर नाच पार्टी मटेवा* के कलाकार मनके चेहरा अन्तस् म उतर जथे। श्री झुमुक़दास बघेल अउ नाहिक दास मानिकपुरी के जुगल प्रस्तुति सबके मन ल लुभा लेवय। कबीर के दोहा,साखी शबद, भजन,अउ गीत मुख्य आकर्षण के क्रेंद रहय। नाचा म जोक्कड़ मनके जोकड़ई म दर्शक दीर्घा ल हँसाये बर, कबीर के उलटबन्सी अउ दोहा खूब रोचक लगे।छत्तीसगढ़ म रामायण अउ भजन मण्डली म घलो कबीर साहेब के प्रभाव दिखथे।

                  कबीर दास जी के भजन मन जुन्ना बेरा म जतका प्रभावी रिहिस वइसनेच आजो हे। जीवन दर्शन ऊपर आधारित कबीर साहेब के दोहा, साखी, शबद के कोनो सानी नइहे। *कहत कबीर सुनो भाई साधो, माया तजि न जाय, झीनी रे झीनी चदरिया, साहेब तेरा भेद न जाने कोउ, कुछु लेना न देना मगन रहना, रहना नही देश बिराना, भजले साहेब बन्दगी, लागे मेरो मन फकीरी में*---आदि कतको भजन सुनत ही मनखे ल परम् सुख सहज मिल जथे। स्वरांजलि स्टूडियो ले छत्तीसगढ़ के दुलरुवा कवि अउ गायक  परम श्रध्देय मस्तुरिया जी *कबीर* नाम से एक कैसेट घलो निकाले रिहिस, जे भारी चलिस। जेमा कबीरदास जी के भजन ल अपन अंदाज म मस्तुरिया जी जनमानस के बीच रखे रिहिस। *बीजक मत पर माना, शबद साधना की जै, गुरु गोविंद खड़े, खबर नही आज, हमन है इश्क, माया तजि न जाय* कबीर दास जी के लिखे आदि भजन वी कैसेट म रिहिस। मस्तुरिया जी कबीर के नाम म खुद घलो कई ठन रचना करिन अउ वोला अपन स्वर दिन, जेमा हम तो तेरे साथी कबीरा हो, जइसे उम्दा भजन आजो मन ल मुग्ध कर देथे। कई लोक कलाकार मन घलो कबीरदास जी के भजन ल अपन स्वर दे हें।


                कबीरपंथी समुदाय, कबीर गद्दी आश्रम,  कबीर  के अमृत वाणी, साखी शबद सबे दृष्टि ले हमर छत्तीसगढ़ कबीरमय हे। दामाखेड़ा, कबीरधाम, कुदुरमाल, खरसिया, नादिया,बालोद,जइसन कई कबीर तीर्थ अउ अनेक आश्रम,  हमर छत्तीसगढ़ म बनेच संख्या म सुशोभित हे। कबीरदास जी महाराज छत्तीसगढ़ के कण कण म बिराजमान हे। सादा जीवन अउ उच्च विचार रखे, न सिर्फ कबीर पंथी बल्कि जमे छत्तीगढ़िया मन कबीर साहब के बताये रद्दा म चलही, त उंखर जीवन धन्य हो जाही। 


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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