डमरू घनाक्षरी
अकड़ बड़, बकर बकर बड़।
करत रथस नित, मटमट मटमट।।
सुनस गुनस नइ, सुमत चुनस नइ।
असत फुनस नइ, कहिथस रटपट।।
लिख अउ पढ़ तँय, सत गुण धर तँय।
मनुष असन रह, कर झन खटपट।।
बचन मधुर कह, मिलजुल नित रह।
लँदर फँदर तज, झटपट झटपट।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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