Thursday 13 May 2021

सन्त गुरु घासीदास अउ छत्तीसगढ़

 सन्त गुरु घासीदास अउ छत्तीसगढ़


                       "मनखे मनखे एक कहिके"  मानुष मन ल एक धागा म पिरोइया, संत गुरु घासीदास के पावन पग चिन्ह पाके हमर छत्तीसगढ़ धन्य हे। जब समाज म ऊँच नीच अउ छुवाछुत चरम सीमा म रहिस, ते समय हमर राज के  बलोदाबाजार जिला के गिरौदपुरी नाम के गाँव म महगू दास अउ माता अमरौतिन के कोरा म दीन दुखिया मनके सहारा बनके, 18 दिसम्बर सन 1756 म, सन्त घासीदास जी प्रगट होइस। गुरु घासीदास जी मानुष समाज म फइले बुराई ल देख के बहुत दुखी होइस। बलौदा बाजार जिला के छाता पहाड़ म औरा धौरा पेड़ तरी अखण्ड साधना म लीन होके, सदज्ञान पाके, अपन जिनगी ल संत घासीदास जी ह दीन हीन मनके नाम करदिस। चोरी, मद्यपान, अंधविश्वास, व्यभिचारी, झूठ अउ जीव हत्या जइसन समाज म व्याप्त सबे बुराई ल घासीदास जी दुरिहाय के प्रण लिस अउ समाज सेवा म सतत लग गे। घासीदास जी के सतुपदेश के मनखे मन म अतका प्रभाव पड़िस कि, एक नवा पंथ सतनाम पंथ, वो बेरा ले चले ल लगिस। अउ आजो घलो छत्तीसगढ़ के कोना कोना म सतनाम पंथ चलत हे। 

                          संत घासीदास जी के उपदेश हमर महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी म रहय, जेखर कारण जनमानस के अन्तस् म जस के तस समा जावव। गुरु घासीदास जी हमर छत्तीसगढ़ के आन बान शान आय। हमर छत्तीसगढ़ म भारी संख्या म सतनाम समाज उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम चारो दिशा म विद्यमान हे। करमा सुवा ददरिया कस पंथी(गुरुमहिमा ज्ञान) घलो हमर लोक नृत्य आय। पंथी नृत्य म कई कलाकार मन सन्त घासीदास जी के महिमा गान न सिर्फ भारत बल्कि विदेश म घलो कर चुके हे। जेमा स्व मोहनदास बंजारे जी के नाम पहली पंक्ति म आथे। 

                       वइसे तो हर शहर गाँव गली म सन्त घासीदास जी के पावन स्तम्भ जैत खाम रिहिथे, फेर गिरौदपुरी म बने बड़ ऊँच जैत खाम न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि हमर भारत देश के धरोहर आय। छत्तीसगढ़ अउ गुरु घासीदास जी के बात जब होथे, त हमर बिलासपुर जिला म बने क्रेंदीय विश्वविद्यालय नजर आघू झूल जथे।  छत्तीसगढ़ सरकार संत घासीदास जी के नाम म हर बछर पुरुस्कार घलो देथे। गुरु घासीदास जी छत्तीगढ़िया मनके अन्तस् म बसथे, तभो घर, गाँव गली खोर के नाम तको बाबा जी के सतविचार ल अन्तस् म जगा देथे। 

                        हमर राज के गिरौदपुरी, छाता पहाड़, भंडारपुरी, तेलासी पुरी, खपरीपुरी आदि सतनाम पंथ के पावन तीर्थ  आजो मनखे मन ल आकर्षित करथें। संत घासीदास जी सतनाम पंथ के प्रथम गुरु होइस। आजो बाबा जी के वंशज अउ  गुरु परम्परा शुशोभित हे। बालक दास जी महराज, अगम दास जी महराज अउ मिनीमाता जइसे कई महान विभूति बाबा जी के ही वंशज आय, जिंखर ऊपर हम सब छत्तीगढ़िया मन ल गर्व हे।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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