Tuesday 31 January 2023

दोहा गीत-सम्मान

 दोहा गीत-सम्मान


बँटे रेवड़ी के असन, जघा जघा सम्मान।

आज देख सम्मान के, कम होवत हे शान।।


देवइया भरमार हें, लेवइया भरमार।

खुश हें नाम ल देख के,सगा सहोदर यार।

नाम गाँव फोटू छपा, अपने करयँ बखान।

आज देख सम्मान के, कम होवत हे शान।।


साहित के संसार मा, चलत हवै ये होड़।

मुँह ताके सम्मान के, लिखना पढ़ना छोड़।

कागज पाथर झोंक के, बनगे हवैं महान।

आज देख सम्मान के, कम होवत हे शान।।


धरहा धरहा लेखनी, सरहा होगे आज।

चाटुकार के शब्द हा, पहिनत हावै ताज।

हवै पुछारी ओखरे, जेखर हें पहिचान।

आज देख सम्मान के, कम होवत हे शान।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)


कतको संगी मन ये कविता ले नाराजगी जाहिर करिन,फेर नाराज होय के कोनो बात नइहे। यदि उदिम, लेखन, योगदान अउ प्रतिभा सम्मानित होवत हे ता,ये तो बने बात हे। फेर सम्मान के शान कम होवत हे,यहू तो चिंतनीय हे।


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सम्मान-हरिगीतिका छन्द


सम्मान बर सम्मान ला गिरवी धरौ जी झन कभू।

कागत धरे पाथर धरे रेंगव अकड़ जड़ बन कभू।।

माँगे मिले ता का बता वो लेखनी के शान हे।

जब बस जबे सबके जिया मा ता असल सम्मान हे।।


जूता घिंसे बूता करत तब ले कई पिछुवात हें।

ता चाँट जूता एक दल सम्मान पा अँटियात हें।।

पइसा पहुँच मा नाम पागे काम के नइहे पता।

जेहर असल हकदार हे थकहार घूमत हे बता।।


तुलसी कबीरा सूर मीरा का भला पाये हवै।

लालच जबर बन जर बड़े नव बेर मा छाये हवै।।

ये आज के सम्मान मा छोटे बड़े सब हें रमे।

नभ मा उड़त हावैं कई कोई धरा मा हें जमे।।


साहित्य साहस खेल सेवा खोज होवै या कला।

विद्वान के होवै परख मेडल फभे उँखरें गला।।

जे योग्य हें ते पाय ता सम्मान के सम्मान हे।

पइसा पहुँच बल मा मिले सम्मान ता अपमान हे।।


उपजे सुजानिक देख के सम्मान अइसन भाव ए।

अकड़े जुटा सम्मान पाती फोकटे वो ताव ए।।

सम्मान नोहे सील्ड मेडल धन रतन ईनाम ए।

बूता बताये एक हा ता एक साधे काम ए।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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