Saturday 14 January 2023

गीत-मोल क्षमा के(तातंक छंद)

 गीत-मोल क्षमा के(तातंक छंद)


भाव क्षमा के जब आ जाही, तब बड़का कहिलाबे तैं।

बालपना गय गये जवानी, अउ कब तक उमियाबे तैं।।


आँख दिखाथस दाँत कटरथस, रिस करथस अबड़े भारी।

मनखेपन के दिखे नही गुण, लगथस तैं टँगिया आरी।।

बड़े कहाथस धन दौलत धर, इकदिन धक्का खाबे तैं।

भाव क्षमा के जब आ जाही, तब बड़का कहिलाबे तैं।।


मन निर्मल नइहे बचपन कस, मोह सनाय जवानी हे।

समझ बूझ नइहे हे सियान कस, महुरा असन जुबानी हे।।

बता होश आही कब तोला, कब लत लोभ भुलाबे तैं।

भाव क्षमा के जब आ जाही, तब बड़का कहिलाबे तैं।।


अपन समझ लइका के गलती , क्षमा करे दाई बाबू।

फेर देख के पर के अवगुण, रखे नही मन मा काबू।।

अपन मान के सबे मनुष ला, रिस तज के समझाबे तैं।

भाव क्षमा के जब आ जाही, तब बड़का कहिलाबे तैं।।


कुकुर भुँके ले पथ नइ बदले, चले कलेचुप हाथी हा।

धरम करम धर तहूँ चलत रह, दुरिहाये झन साथी हा।।

क्षमा दान के मोल समझ ले, क्षमा करत हर्षाबे तैं।

भाव क्षमा के जब आ जाही, तब बड़का कहिलाबे तैं।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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