धूंध के ओनहा(गीत)
पहिरे हे पहट हा, धूंध के ओनहा।
दिखत नइहे एकोकनी, कोनो कोनहा।
पा के बड़ इतराये, पूस के जाड़ ला।
कभू सुते सड़क मा, अमरे कभू झाड़ ला।
बनगे दुशासन, सुरुज टोनहा---।
पहिरे हे पहट हा, धूंध के ओनहा----
मनमाड़े डुबके हे, करिया समुंदर मा।
मोती निकाल के, धरे हवय कर मा।।
आगे बन लुटेरा , घाम सोनहा-----।
पहिरे हे पहट हा, धूंध के ओनहा---
दुबके हे गाय गरु, दुबके दीदी भैया।
तभो नाचत गावत हे, पहट ताता थैया।
देखे सुघराई, जागे जल्दी जोन हा।
पहिरे हे पहट हा, धूंध के ओनहा--
जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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