जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया-(कुकुभ छंद)
स्वामी विवेकानंद
स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही हो।
नीति नियम सत कठिन डगर के, स्वामी सच्चा राही हो।
भारतीय दर्शन के दौलत, भारत वासी के हीरा।
ज्ञान धरम सत जोत जलाके, दूर करिस दुख डर पीरा।
पढ़ लौ गढ़ लौ स्वामी जी ला, मन म उमंग हमाही हो।
स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही हो।
संत शिरोमणि सत के साथी, विद्वान गुणी वैरागी।
भाईचारा बाँट बुझाइस, ऊँच नीच छलबल आगी।
अन्तस् मा आनंद जगालौ, दुःख दरद दुरिहाही हो।
स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही हो।
सोन चिरैया के चमकैया, सोये सुख आस जगइया।
भारत के ज्ञानी बेटा के, परे खैरझिटिया पँइया।
गुरतुर बोली ज्ञान ध्यान सत, जीवन सफल बनाही हो।
स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही हो।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)
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