Tuesday 31 January 2023

नियत बचाके रख रे मनखे- तातंक छन्द

 नियत बचाके रख रे मनखे- तातंक छन्द


नियत बचाके रख रे मनखे, बचही पुरवा पानी हा।

लूट मचा झन बनगे लोभी, सिरा जही जिनगानी हा।


कब्जा झन पर्वत नदिया बन, झन खा पेड़उ पाती ला।

खनिज लवण जल झन निकाल बड़, छेद धरा के छाती ला।।

सता प्रकृति ला अब झन जादा, के दिन रही जवानी हा।

नियत बचाके रख रे मनखे, बचही पुरवा पानी हा।।


चरै तोर बइला विकास के, सुख के धनहा डोली ला।

तोरे बइला तुहिंला पटके, गुनय सुनय ना बोली ला।।

हवै भोंगरा छत अउ छानी, आगी लगे फुटानी हा।

नियत बचाके रख रे मनखे, बचही पुरवा पानी हा।।


माटी मा गारा मिलगे हे, महुरा पुरवा पानी मा।

साँस लेय बर जुगत जमाथस, अब का हे जिनगानी मा।

काली बर बस काल बचे हे, सरगे तोर सियानी हा।

नियत बचाके रख रे मनखे, बचही पुरवा पानी हा।।


पेड़ लगावत फोटू ढिलथस, कभू बाँचतस नारा तैं।

सात जनम के ख्वाब देखथस, बइठे रटहा डारा तैं।

चाँद सितारा के सुध लेथस, तड़पय धरती रानी हा।

नियत बचाके रख रे मनखे, बचही पुरवा पानी हा।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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