Saturday 17 September 2022

स्वभिमानी- गीत(16-16 मात्रा)

 स्वभिमानी- गीत(16-16 मात्रा)


अफसर बाबू नेता गुंडा, कखरो ले पहिचान कहाँ हे।

सबे चीज मा पाछू हावन, किस्मत मेहरबान कहाँ हे।


बाजा असन बजाके जाथे, जउने आथे तउने हम ला।

जादा बर जिद कभू करन नइ, सबदिन माँगत रहिथन कम ला।

का देखावा रुपिया पइसा, पेट भरे बर धान कहाँ हे।

सबे चीज मा पाछू हावन, किस्मत मेहरबान कहाँ हे।


बने ढंग ले करनी के फल, हाथ घलो नइ आय हमर गा।

खड़े रथे नित डँगनी धरके, बिचौलिया मन खाय अमर गा।

सीले रहिथन मुँह ला सब दिन, अधर भरे मुस्कान कहाँ हे।

सबे चीज मा पाछू हावन, किस्मत मेहरबान कहाँ हे।


जीभ लमइया के झोली मा, सबे सहज आ जावत हावयँ।

काम कमइया एती ओती, दर दर भटका खावत हावयँ।

हमर असन के कहाँ पुछारी, ये जग मा ईमान कहाँ हे।

सबे चीज मा पाछू हावन, किस्मत मेहरबान कहाँ हे।


कोट कछेरी सचिव सिपइहा, डाँका डारे थैली मा।

लेवैं कोल्लर कोल्लर भरके, देवैं पउवा पैली मा।

अंधेरी होवत हें भारी, सत साखी भगवान कहाँ हे।

सबे चीज मा पाछू हावन, किस्मत मेहरबान कहाँ हे।


नियम धियम हमरे बर हावय, हमरे बर हे गलत सही हा।

आँख दिखाथे सबे हमी ला, गड़े सबे ला हमर नही हा।।

चमचागिरी करत हें सबझन, स्वभिमानी इंसान कहाँ हे।

सबे चीज मा पाछू हावन, किस्मत मेहरबान कहाँ हे।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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