Saturday 17 September 2022

सुरता मइके के-गीत

 : सुरता मइके के-गीत


सावन काँटेंव मैं गिनगिन, सुरता मा दाई वो।

कि आही तीजा लेय बर, भादो मा भाई वो।।


मइके के सुरता, नजरे नजर म झुलथे।

देखतेंव दसमत पेड़ ल, के फूल फुलथे।

मोर थारी अउ लोटा म, कोन बासी खाथे।

तुलसी चौरा म बिहना, पानी कोन चढ़ाते।

हे का चकचक ले उज्जर, कढ़ाई दाई वो--

आही तीजा------


गाय गरुवा मोर बिन, सुर्हरथे कि नही।

खेकसी कुंदरू बारी म फरथे कि नही।

कुँवा तरिया म पानी कतका भरे रहिथे।

का मोला अगोरत,परोसिन खड़े रहिथे।

कोन करथे मोर कुरिया म पढाई दाई वो---

आही तीजा------


दुरिहा दिये दाई, तैंहर अपन कोरा ले।

मइके लाही कहिके,मोला तीजा पोरा में।

जल्दी भेज न दाई बाट जोहत हँव वो।

मइके के सुरता म मैं हा रोवत हँव वो।

एकेदरी थोरे सुरता भुलाही दाई वो---

आही तीजा---


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा

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