Saturday 17 September 2022

धनहा डोली(गीत)......

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.....धनहा डोली(गीत)......

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चल  घुमाहूँ  तोला, धनहा     डोली।

सुनाहूँ पड़की तीतुर,पपीहा के बोली।


मेड़ -पार  म  उगे   हवे,रंग - रंग  के   काँदी।

खेत   म  खेलत  हवे ,डँड़ई ,कोतरी ,सराँगी।

नाचत हवे रुख राई संग,पँड़री-पँड़री कांसी।

कते  रुख  तरी  खाथों , बइठ   मैंहा   बासी?

तहूँ ला  खवाहूँ  ,मुंग - मुंगेसा  ओली-ओली।

चल घुमाहूँ तोला, धनहा डोली................।


मेचका के टर-टर हे,पुरवा के सर-सर हे।

मुही के  पानी झरे , झर-झर झर-झर हे।

भादो  महीना  ,  सजोर  दिखय    धान।

नाच  देथे कई परता,खेतेच म किसान।

सँसो  -  फिकर  के , जर जाही  होली ।

चल घुमाहूँ तोला,धनहा डोली..........।


बइठ के मेड़  म ,  तन - मन  ल हरियाबों।

कोलिहापुरी ,फोटका, फुट- फुटैना खाबों।

कर्मा - ददरिया  सुनबों, धान  निंदइया के।

असल रूप चल  देखबों,धरती मइया के।

हँसबों   मुस्काबों अउ , करबों   ठिठोली।

चल घुमाहूँ तोला, धनहा डोली.............।


                     जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

                            बालको(कोरबा)

                            9981441795


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