गीत-परेवना राखी देके आ
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परेवना कइसे जावौं रे, भइया तीर तँय बता?
गोला-बारूद चलत हे मेड़ो म,तँय राखी देके आ...|
दाई-ददा के छँइहा म रहँव त,बइठाके भइया ल मँझोत में।
बाँधौं राखी कुंकुंम लगाके, घींव के दीया के जोत में।
मोर होगे बिहाव अउ, होगे भइया देस के।
कइसे दिखथे मोर भइया ह, आबे रे परेवना देख के।
मोर सुख के समाचार कहिबे,जा भइया के संदेसा ला..।
सावन पुन्नी आगे जोहत होही, मोर राखी के बाट रे।
धकर-लकर उड़ जा रे परेवना,फइलाके दूनो पाँख रे
चमचम-चमचम चमकत राखी,भइया ल बड़ भाही रे
नाँव जगा के ,दाई-ददा के,बहिनी ल दरस देखाही रे।
जुड़ाही आँखी,ले जा रे राखी, जा भइया के पता......।
देखही तोला भइया ह परेवना,मोरे सुरता करही रे।
जे हाथ म राखी ह बँधाही,ते हाथ देस बर लड़ही रे
थरथर काँपही बइरी मन ह,गोली के बऊछार ले।
रक्षा करही राखी भइया के,बइरी अउ जर-बोखार ले।
जनम-जनम ले अम्मर रही रे,भाई-बहिनी के नता..।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
रक्षाबन्धन की ढेरों बधाइयाँ💐💐
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