पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई
कुकुभ छंद-पोरा जाँता
सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।
राँध ठेठरी खुरमी भजिया,करे हवै सबझन जोरा।
भादो मास अमावस के दिन,पोरा के परब ह आवै।
बेटी माई मन हर ये दिन,अपन ददा घर सकलावै।
हरियर धनहा डोली नाचै,खेती खार निंदागे हे।
होगे हवै सजोर धान हा,जिया उमंग समागे हे।
हरियर हरियर दिखत हवै बस,धरती दाई के कोरा।
सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।1
मोर होय पूजा नइ कहिके,नंदी बइला हर रोवै।
भोला जब वरदान ल देवै,नंदी के पूजा होवै।
तब ले नंदी बइला मनके, पूजा होवै पोरा में।
सजा धजा के भोग चढ़ावै,रोटी पीठा जोरा में।
पूजा पाठ करे मिल सबझन,सुख पाये झोरा झोरा।
सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।2
कथे इही दिन द्वापर युग में,पोलासुर उधम मचाये।
मनखे तनखे बइला भँइसा,सबझन ला बड़ तड़पाये।
किसन कन्हैया हर तब आके,पोलासुर दानव मारे।
गोकुलवासी खुशी मनावै,जय जय सब नाम पुकारे।
पूजा ले पोरा बइला के,भर जावय उना कटोरा।
सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।3
दूध भराये धान म ये दिन,खेत म नइ कोनो जावै।
परब किसानी के पोरा ये,सबके मनला बड़ भावै।
बइला मनके दँउड़ करावै,सजा धजा के बड़ भारी।
पोरा परब तिहार मनावय,नाचयँ गावयँ नर नारी।
खेले खेल कबड्डी खोखो,नारी मन भीर कसोरा।
सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।4
बाबू मन बइला ले सीखे,महिनत अउ काम किसानी
नोनी मन पोरा जाँता ले,होवय हाँड़ी के रानी।
पूजा पाठ करे बइला के,राखै पोरा में रोटी।
भरे अन्न धन सबके घर में,नइ होवै किस्मत खोटी।
परिया में मिल पोरा पटके,अउ पीटे बड़ ढिंढोरा।
सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।5
सुख समृद्धि धन धान्य के,मिल सबे मनौती माँगे।
दुःख द्वेष ला दफनावै अउ,मया मीत ला उँच टाँगे।
धरती दाई संग जुड़े के,पोरा देवय संदेशा।
महिनत के फल खच्चित मिलथे,कभू रहै नइ अंदेशा।
लइका लोग सियान सबे झन,पोरा के करै अगोरा।
सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।6
छंदकार-जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"
पता-बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
पोरा(ताटंक छंद)
बने हवै माटी के बइला,माटी के पोरा जाँता।
जुड़े हवै माटी के सँग मा,सब मनखे मनके नाँता।
बने ठेठरी खुरमी भजिया,बरा फरा अउ सोंहारी।
नदिया बइला पोरा पूजै, सजा आरती के थारी।
दूध धान मा भरे इही दिन,कोई ना जावै डोली।
पूजा पाठ करै मिल मनखे,महकै घर अँगना खोली।
कथे इही दिन द्वापर युग मा,कान्हा पोलासुर मारे।
धूम मचे पोला के तब ले,मनमोहन सबला तारे।
भादो मास अमावस पोरा,गाँव शहर मिलके मानै।
हूम धूप के धुँवा उड़ावै,बेटी माई ला लानै।
चंदन हरदी तेल मिलाके,घर भर मा हाँथा देवै।
धरती दाई अउ गोधन के,आरो सब मिलके लेवै।
पोरा पटके परिया मा सब,खो खो अउ खुडुवा खेलै।
संगी साथी सबो जुरै अउ,दया मया मिलके मेलै।
बइला दौड़ घलो बड़ होवै,गाँव शहर मेला लागै।
पोरा रोटी सबघर पहुँचै,भाग किसानी के जागै।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
आज पोरा हे
----------------------------
चूरे हे ठेठरी-खुरमी,
चूरे हे बरा-भजिया।
टिपटिप ले भरे हे तरिया,
छापा चलत हे नदिया।
नाचत हे,डोली म धान।
होवत हे,खेती के मान।
बेटी माई घर अमराय बर,
रोटी-पिठा म ,भरे झोरा हे।
आज पोरा हे,आज पोरा हे।
माड़े हे माटी के बइला,
माटी के पोरा - जांता।
अधियागे किसानी,
जंउहर जुड़े हे नाता।
बाजत हे घण्टी,
नाचत हे बइला।
झन पूछ लइका मनके,
खेलई - कूदई ला।
घरो - घर बेटी के अगोरा हे।
आज पोरा हे,आज पोरा हे।
कहूँ मेर फुगड़ी माते हे,
त कहूँ मेर खो-कबड्डी।
कतको अतलंगहा टुरामन,
बइठे हे धरे तास गड्डी।
रोटी - पिठा ले फुले हे पेट।
नई गेहे आज कोनो खेत।
किसानी के तिहार पोरा,
जुड़ धरती दाई के कोरा हे।
आज पोरा हे,आज पोरा हे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
💐💐💐💐💐💐💐
No comments:
Post a Comment