गाय गरुवा के पीरा
पेट पाले बर मोर चरवाहा,खाय कमाय गे हे।
मैं सड़क म नइ आय हँव, मोला लाय गे हे।
मोर बर चरागन,न कोला बारी हे।
गउठान म बेजा कब्जा जारी हे।
परिया तरिया के दउहा नइहे।
बँचे बँम्हरी बोइर कउहा नइहे।
घर म कहाँ कोठा कोटना हे।
संसो म ओरमे मोर थोथना हे।
जम्मो कोती तारे तार,खेत खार रुँधाय गे हे।
मैं सड़क म नइ आय हँव,मोला लाय गे हे।1
कहाँ बियारा म ,अब पैरावट दिखथे।
मोर बर भला कोन,कांदी पैरा झिंकथे।
नाली म बोहावत हे,धोवन पसिया पानी।
कोनो ल कहाँ भाये,अब मोर हम्मा बानी।
दू लउठी मैं अब,रोजेच के खावत हँव।
गाड़ी घोड़ा म,अखमुंदा झपावत हँव।
न खूँटा न काँसरा,मोर जघा म कुकूर
बँधाय गे हे।
मैं सड़क म नइ आय हँव, मोला लाय गे हे।2।
रसायनिक दूध म लइका मोटावत हे।
मोर छेना गोबर अब कोन ल भावत हे।
टेक्टर हार्वेस्टर हे,बइला भैंसा होगे बला।
मोर नाम म माते हे,मारकाट घला।
मोर माखन मिश्री दूध मलाई।
अब काखर कर सकही भलाई।
मनखे सब हड़प लिस,मोर बर का बचाँय गे हे।
मैं सड़क म नइ आय हँव, मोला लाय गे हे।3।
अब कोन बछिया ल दान म गिनथे।
जे नही ते अब गाय गरु ल हिनथे।
पुराना जमाना के मँय किस्सा होगेंव।
अब तो राजनीति के घलो हिस्सा होगेंव।
गाँव म गोसैंया बैरी,जंगल म आन जानवर।
अब आस धर सरकार के,घुमौं आँवर भाँवर।
मँय पालतू फालतू होगेंव,मोर महत्ता गिराय गे हे।
मैं सड़क म नइ आय हँव, मोला लाय गे हे।4।
हाथी शेर चीता कस, मोरो खातिरदारी होय।
मोरो बर जंगल झाड़ी, खेत खार बारी होय।
शेर चीता कस चार झन, आघू पाछू मोरो घूमे।
जुन्ना जमाना कस, अभो सब मोर माथ चूमे।
शेर चीता कुकूर बिलई के, चमक गे हे भाग।
हम सिधवा के जिनगी म, लगगे हे अब आग।
हकीकत मा कुछु नही, बस पोथी म पढ़ाय गे हे।
मैं सड़क म नइ आय हँव, मोला लाय गे हे।5।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को कोरबा(छग)
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