जय बाबा विश्वकर्मा (सरसी छंद)
देव दनुज मानव सब पूजै,बन्दै तीनों लोक।
बबा विश्वकर्मा के गुण ला,गावै ताली ठोक।
धरा धाम सुख सरग बनाइस,सिरजिस लंका सोन।
पुरी द्वारिका हस्तिनापुर के,पार ग पावै कोन।
चक्र बनाइस विष्णु देव के,शिव के डमरु त्रिशूल।
यमराजा के काल दंड अउ,करण कान के झूल।
इंद्र देव के बज्र बनाइस,पुष्पक दिव्य विमान।
सोना चाँदी मूँगा मोती,बीज भात धन धान।
बादर पानी पवन बनाइस,सागर बन पाताल।
रँगे हवे रुख राई फुलवा,डारा पाना छाल।
घाम जाड़ आसाढ़ बनाइस,पर्वत नदी पठार।
खेत खार पथ पथरा ढेला,सबला दिस आकार।
दिन के गढ़े अँजोरी ला वो,अउ रतिहा अँधियार।
बबा विश्वकर्मा जी सबके,पहिली सिरजनकार।
सबले बड़का कारीगर के,हवै जंयती आज।
भक्ति भाव सँग सुमिरण करले,होय सुफल सब काज।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
भगवान विश्वकर्मा सबके आस पुरावै
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