Saturday 17 September 2022

घनाक्षरी-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 हिंदी दिवस


घनाक्षरी-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

             1

कहिनी कविता बसे,कृष्ण राम सीता बसे,

हिंदी भाषा जिया के जी,सबले निकट हे।

साकेत के सर्ग म जी,छंद गीत तर्ज म जी,

महाकाव्य खण्डकाय,हिंदी मा बिकट हे।

प्रेम पंत अउ निराला,रश्मिरथी मधुशाला,

उपन्यास एकांकी के,कथा अविकट हे।

साहित्य समृद्ध हवै,भाषा खूब सिद्ध हवै,

भारत भ्रमण बर,हिंदी हा टिकट हे।1।।।

               2

नस नस मा घुरे हे, दया मया हा बुड़े हे,

आन बान शान हरे,भाषा मोर देस के।

माटी के महक धरे,झर झर झर झरे,

सबे के जिया मा बसे,भेद नहीं भेस के।

भारतेंदु के ये भाषा,सबके बने हे आशा,

चमके सूरज कस,दुख पीरा लेस के।

सबो चीज मा आगर,गागर म ये सागर,

भारत के भाग हरे,हिंदी घोड़ा रेस के।2।

                3

सबे कोती चले हिंदी,घरो घर पले हिंदी।

गीत अउ कहानी हरे, थेभा ये जुबान के।।

समुंद के पानी सहीं, बहे गंगा रानी सहीं।

पर्वत पठार सहीं, ठाढ़े सीना तान के।।

ज्ञान ध्यान मान भरे,दुख दुखिया के हरे।

निकले आशीष बन,मुख ले सियान के।।

नेकी धर्मी गुणी धीर,भक्त देव सुर वीर।

बहे मुख ले सबे के,हिंदी हिन्दुस्तान के।3।


छंदकार-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)छत्तीसगढ़


हिंदी दिवस की आप सबको सादर बधाई

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