Saturday, 17 September 2022

हरिगीतिका छंद-ओजोन

 हरिगीतिका छंद-ओजोन


होथे परत ओजोन के समताप मण्डल के तरी।

रक्षा कवच बन छाय रहिथे रोज करथे चाकरी।।

घातक किरण निकले सुरुज ले हम सबे के काल बन।

छाये रहे ओजोन जब तब वो किरण नइ आय छन।।


सब झन जियत हन जिंदगी बनके विलासी रात दिन।

टीवी फिरिज बउरत हवन हाँसत हवन बन बाग बिन।।

ओ जोन हा ओजोन के जाने नही कुछु फायदा।

ते आँख मूंदें तोड़थे पर्यावरण के कायदा।।


एसी फिरिज के गैस मा ओजोन हा छेदात हे।

कतको बिमारी तेखरे सेती हमन ला खात हे।।  

कैंसर त्वचा के संग मा आँखी के छीने रोशनी।

बड़ हानिकारक हे किरण छन आय झन एको कनी।।


युग आधुनिक नभ मा उड़े पर नित जुड़े संकट नवा।

मिल खोजना पड़ही हमी ला खुद गढ़े दुख के दवा।

पर्यावरण के नाश होवै आस खोवय जिंदगी।

ठाढ़े हवै वो मोड़ मा हाँसै कि रोवै जिंदगी।।


नइ हन अमर कारज हमर नुकसान एखर झन करे।

का जानवर बन का मनुष रक्षा कवच सबके हरे।

सुध लेव मिलजुल के सबे बड़ कीमती ओजोन हे।

इहि हा बचाथे जिंदगी फीका रतन धन सोन हे।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


विश्व ओजोन-परत संरक्षण दिवस के सादर बधाई

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