Saturday 17 September 2022

कुंडलियाँ

 कुंडलियाँ


चिरई बइठे हाथ मा,कइसे चूमय गाल।

मनखे मनहा आज तो,बनगे हावै काल।

बनगे हावै काल, हवा पानी ला चुँहके।

मरे पखेड़ू भूख,छिंनय चारा ला मुँह के।

जंगल झाड़ी काट, करत हे मनके तिरई।

काखर कर बतियाय,अपन पीरा ला चिरई।


खैरझिटिया

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