Saturday 17 September 2022

गँवागे हे मोर गॉंव ####

 #### गँवागे हे मोर गॉंव ####


सियान के ऑंवर-भॉंवर,

जुरियायँ राहयँ लइका |

तारा-कुची लगे नइ राहय,

बस ओधे राहय फइका |

रहे भाई बरोबर परोसी,

फूल मितान पारा-पारा |

सुख-दुख म साथ राहयँ,

सब खायँ  झारा- झारा|

सबके बने गॉंव के गॉंव संग |

आदर राहय बड़का के नॉव संग |

उहाँ माते हे आज,  

हॉंव-हॉंव ,खॉंव-खॉंव...............|

कोनो देखे हो का गा?

गँवागे हे मोर गॉंव...................|


फुतकी उड़त रद्दा म,

पहिली रेंगें म मया बाढ़े|

कोनो गिरगे सड़क म,

त आज देखत रीथें सब ठाढ़े|

तोर-मोर जिहॉ नइ रिहिस,

उहॉं का हमागे हे |

ताग-ताग बर लड़त हें,

स्वारथ के सॉप चाबे हे |

जिहॉं धन-दौलत करम रिहिस,

मंदिर रिहिस बड़का के पॉंव........|

कोनो देखे हो का गा,

गँवागे हे मोर गॉंव......................|


झगरा-लड़ई होय जघा-जघा,

गोल्लर कस भुकरे मनखे |

मन ल मइलात हें,

सिंगार करत हें तन के |

मितान बर मया उरक गे|

सियान बर दया उरक गे |

फेक गँवइहॉ ताज ल,

बनगें सब बिलायती |

चार आखर पढ़के,

करत हें पंचायती |

बिदेसी बरोड़ा म,

उड़ागे हे समाज |

निरदई हें अधमी हें,

बेंच देहें लोक-लाज |

बर पीपर तरी धुका चलत हे,

जुड़ नइहे नीम छॉंव............|

कोनो देखे हो का गा,

गँवागे हे मोर गॉंव................|

             

           जीतेन्द्र वर्मा'खैरझिटिया'

           बाल्को(कोरबा)

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