#### गँवागे हे मोर गॉंव ####
सियान के ऑंवर-भॉंवर,
जुरियायँ राहयँ लइका |
तारा-कुची लगे नइ राहय,
बस ओधे राहय फइका |
रहे भाई बरोबर परोसी,
फूल मितान पारा-पारा |
सुख-दुख म साथ राहयँ,
सब खायँ झारा- झारा|
सबके बने गॉंव के गॉंव संग |
आदर राहय बड़का के नॉव संग |
उहाँ माते हे आज,
हॉंव-हॉंव ,खॉंव-खॉंव...............|
कोनो देखे हो का गा?
गँवागे हे मोर गॉंव...................|
फुतकी उड़त रद्दा म,
पहिली रेंगें म मया बाढ़े|
कोनो गिरगे सड़क म,
त आज देखत रीथें सब ठाढ़े|
तोर-मोर जिहॉ नइ रिहिस,
उहॉं का हमागे हे |
ताग-ताग बर लड़त हें,
स्वारथ के सॉप चाबे हे |
जिहॉं धन-दौलत करम रिहिस,
मंदिर रिहिस बड़का के पॉंव........|
कोनो देखे हो का गा,
गँवागे हे मोर गॉंव......................|
झगरा-लड़ई होय जघा-जघा,
गोल्लर कस भुकरे मनखे |
मन ल मइलात हें,
सिंगार करत हें तन के |
मितान बर मया उरक गे|
सियान बर दया उरक गे |
फेक गँवइहॉ ताज ल,
बनगें सब बिलायती |
चार आखर पढ़के,
करत हें पंचायती |
बिदेसी बरोड़ा म,
उड़ागे हे समाज |
निरदई हें अधमी हें,
बेंच देहें लोक-लाज |
बर पीपर तरी धुका चलत हे,
जुड़ नइहे नीम छॉंव............|
कोनो देखे हो का गा,
गँवागे हे मोर गॉंव................|
जीतेन्द्र वर्मा'खैरझिटिया'
बाल्को(कोरबा)
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