कुंडलियाँ छंद
सत्ता खातिर रोज के, होवत हे गठजोड़।
नेता मन पद पाय बर, भागे पार्टी छोड़।
भागे पार्टी छोड़, मिले एखर ओखर ले।
पाँच साल बर वोट, पाय हे कुछु कर ले।
मत मरियादा मान, उड़त हे बनके पत्ता।
होय हार या जीत, सबे सपनावैं सत्ता।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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