कुंडलियाँ
पइसा बर पी एफ के, नियत बिगड़गे आज।
सब मा काटे टैक्स अब, आवत नइहे लाज।।
आवत नइहे लाज, ब्याज मूल सबे ला झटके।
गिरगे हे सरकार, आम जन ला धर पटके।।
नेता मन मिल लूट, खात हें बनके भँइसा।
पेंसन वेतन झोंक, जमावत हें खुद पइसा।।
खैरझिटिया
No comments:
Post a Comment