Saturday 1 July 2023

पइसा अउ संगी- सार छन्द

 पइसा अउ संगी- सार छन्द


पइसा के राहत ले मिलथें, किसम किसम के संगी।

रोज चढ़ाथें चना झाड़ मा, ख्वाब दिखा सतरंगी।।


काम करयँ नइ कभू अकेल्ला, रटथें यारी यारी।

जुगत बनाथें खाय पिये के, घूम घूम के भारी।।

चाँटुकार के घोर चासनी, बात कहयँ बेढंगी।

पइसा के राहत ले मिलथें, किसम किसम के संगी।


जिया जीतथें जुरमिल फोकट, झूठमूठ कर दावा।

राहन नइ दय पहली जइसे, रंग रूप पहिनावा।।

बना डारथें सिधवा ला तक, अपने कस हुड़दंगी।

पइसा के राहत ले मिलथें, किसम किसम के संगी।


देवयँ नइ सुझाव फोकट मा, साहब बइगा गुनिया।

किसन सुदामा के जुग नइहे, मतलब के हे दुनिया।

रसा रहत ले चुहके मनभर, भागयँ देखत तंगी।

पइसा के राहत ले मिलथें, किसम किसम के संगी।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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