Saturday 1 July 2023

छेना खरही- दोहा चौपाई

 छेना खरही- दोहा चौपाई



पइसा फेकय हाँस के, जाँगर कोन खपाय।

नवा जमाना आय ले, जुन्ना चीज नँदाय।।


नवा जमाना कती हबरही। दिखे नही अब छेना खरही।।

छेना बीने के गय अब दिन। रहै सहारा जेहर सब दिन।।


पाठ पठउँहा बारी बखरी। जिहाँ रहै बड़ छेना लकड़ी।।

गरुवा गाय बँधाये घरघर। गोबर निकले कोल्लर भरभर।।


भाई बहिनी बाबू दाई। बिनै सबे गोबर मुस्काई।।

डार पिरौसी थोपैं छेना। तभो कखरो थकयँ ना डेना।


चलत रिहिस होही ये कब के। खरही राहय रचरच सबके।।

छेना खा खा भभके चूल्हा। दार भात तब झड़के दूल्हा।।


बर बिहाव का छट्ठी बरही। सबके थेभा राहय खरही।।

खरही खाल्हे डारे डेरा। मुसवा रोज लगाये फेरा।।


 घाम घरी बड़ खरही बाढ़े। आय बतर तब रो धो ठाढ़े।।

छेना बिना गोरसी रोये। पेट सेंक तब लइका सोये।।


अब के लइका का ये जाने। छेना धर सब आगी लाने।।

धुँवा दिखाये नजर जाय लग। छेना सुपचा देय हूम जग।।


छेना रचके बाट चढ़ावै। छेना मा खपरा पक जावै।।

छेना के सब बारे होरी। माँजे गहना गुठिया गोरी।।


एक आँच मा बनथे खाना। खाय माँग बड़ दादा नाना।

छेना राख भभूत लागे। धुँवा देख के मच्छर भागे।।


राख अबड़ उपजाऊ होवय। पौधा जर मा राख कुढ़ोवय।

बाढ़े छेना राख मा बिरवा। खातू बिन मिलवट के निरवा।।


छेना राख काम बड़ आये। बर्तन चकचक ले उजराये।।

बइगा छेना राखड़ धरके।  मारे मंतर फू फू करके।।


उपयोगी हे राख दाँत बर। उपयोगी हे राख आँत बर।।

घावउ गोंदर खजरी कीड़ा। राख मथे ले भागे पीड़ा।।


बिके अमेजन मा छेना हा। देख निकलथे मुख ले हाहा।।

जी सकथे मनखे बिन डेना। फेर जरूरी हावै छेना।।


गोधन रख जे सेवा करही। तेखर घर नित बढ़ही खरही।।गुण गोबर के हे आगर जस। गुण कारी छेना हावै तस।।


जनम धरत छेना ला कहिथे। मरत समय तक छेना रहिथे।

मनुष आधुनिक कतको होवय। कभुन कभू छेना बर रोवय।


छेना हे बड़ काम के, गरुवा गाय बिसाव।

थोपव गोबर सान के, खरही ऊँच बनाव।।


 जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

No comments:

Post a Comment