Saturday 1 July 2023

बुझो तो जाने-दोहा

 बुझो तो जाने-दोहा


करिया रँग के फूल हा, सिर के ऊपर छाय।

गरमी पानी  मा खिले, बाकि समय मिटकाय।1


आघू पाछू बाप माँ, लइका मन हे बीच।

लेजय अपने संग मा, दुरिहा दुरिहा खीच।2


पर के साँसा मा चलय, तन हे लंबा गोल।

छेद गला अउ पेट मा, बोले गुरतुर बोल।3


जुड़वा भाई दास बन, रहे सबे दिन संग।

एक बिना बिरथा दुसर, एक दुनो के रंग।4


खटे सबे एकेक झन, का दिन अउ का रात।

 दुनिया सँग इंखर चले, होवय भाई सात।5


पढ़े लिखे के काम बर, रखय कई झन संग।

नोहे कागज अउ कलम, नोहे कोनो अंग।6


जतिक देर पीये लहू, ततिक देर लै साँस।

ना रक्सा ना देवता, ना हाड़ा ना माँस।।7


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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