Saturday 1 July 2023

आम- रोला छंद

 आम- रोला छंद


फर गर्मी मा आय, लुभावै सब ला भारी।

छोट बड़े सब खाँय, बिसाके ओरी पारी।।

फर कहाय राष्ट्रीय, हमर भारत के एहा।

जाने उही सुवाद, खाय ये फर ला जेहा।।1


सुनके एखर नाम, चेहरा सबके खिलथे।

कई प्रकार के आम, सुने देखे बर मिलथे।।

कुछ आमा के नाम, गिनावत हँव लिख रोला।

कलमी चुहकी जोग, अचारी लौ भर झोला।।2


हिमसागर हापूस, बगीनापल्ली पैरी।

तोतापरी बदाम, लंगडा ललचि दसैरी।।

मलगोवा बनराज, मालदा अउ गुलबाड़ी।

जमरूखो जमदार, आम्रपाली आसाड़ी।।3


रत्नागिरी रुमानी, कालिया बघिकल्यानी।

अर्का अरुण पुनीत, आमड़ी अउ अरमानी।

निलेश्वरी निलपान, स्वर्ण रेखा श्रावनिया।

कंरजियो आण्डूस, चिम्पियो चौसा जमिया।।4


फजली फ्रंजोनील, चोग बटली बाजरिया।

अलफोंनस जर्दालु, पितर पिलिया पोपरिया।।

दूधमिया अमृतंग, रोम रूसा रसपूरी।।

केसर किरियाभोग, सफेदा सन सिंदूरी।।5


गौरजीत अनमोल, दूधपण्डो मक्का रम।

हरि गोपालाभोग, नारिएरी हिम नीलम।।

मलिका लक्ष्मणभोग, बम्बई बैगनीपल्ली।

नूरजहाँ जँहगीर, ग्रीन बम्बइया फल्ली।।6


सरदर पूसालाल, सुकुल बरमास बदंदी।

सब ला नइ लिख पाँव, जमत नइहे तुकबंदी।।

आम घलो अब हाथ, सहज नइ आवत हावै।

बने खास मन आम, आम ला खावत हावै।।7


आम कहाँ अब आम, खास बन महँगा होगे।

चटनी चिरा अथान, नवा जुग मा दुख भोगे।।

आम पना कोल्ड्रिंक, मुरब्बा लगथे बढ़िया।

आमा ला बन आम, खाँय सब छत्तीसगढिया।।8


आम होय या खास, हाँस खाये सब आमा।।

कई खास बन आम, करत दिख जाथे ड्रामा।

पद पाये बर आम, बने नेता अधिकारी।

स्वारथ जब सध जाय, आम के कहाँ पुछारी।।9


आम देय फर फूल, हवा लकड़ी अउ छँइहा।

गीत कोयली गाय, सुनत मन जाये बइहा।

कहे आम के आम, दाम गुठली के होथे।

गुठली ला झन गीन, आम खा तब मन रोथे।10


आम आदमी आम, सही चुँहका फेकागे।

बड़े बड़े जन खास, आम अन कहिके छागे।।

जब तक हें जन आम, चलत हे दुनिया दारी।

सब हो जाही खास, मरे के आही पारी।।11


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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