Saturday 1 July 2023

जू के प्रानी- लावणी छंद

 जू के प्रानी- लावणी छंद


हमर नैन के सुख बर जू मा, कैद रथे कतको प्रानी।

लइका संग सियान झुमरथे, जीव जंतु के सुन बानी।।


चिरई चिरगुन चिंवचिंव चहकै, फुसकारे डोमी अजगर।

भँठेलिया भलुवा बनभैसा, इमू नेवला आय नजर।

नाचे फैला पाँख मँयूरा, करय बेंदरा मनमानी।

हमर नैन के सुख बर जू मा, कैद रथे कतको प्रानी।


हाथी घोड़ा हैना मिरगा, नील गाय चीतल सांभर।

बघवा बिज्जू बारह सिंगा, बनबिलवा गिलहरी मगर।।

मछरी मेढक बतख कोकड़ा, इतराथे पाके पानी।

हमर नैन के सुख बर जू मा, कैद रथे कतको प्रानी।


पांडा गैंडा गोह गोरिल्ला, जेब्रा जगुआर छछूंदर।

कंगारू जिराफ तेंदुवा, शाही चीता शेर सुअर।

लामा उद दरियाई घोड़ा, जू ला माने छत छानी।

हमर नैन के सुख बर जू मा, कैद रथे कतको प्रानी।


अपन देश दुनिया ले दुरिहा, रहिके जिनगी नित काटे।

अपन दुःख ला जाने उहि हा, काखर तीरन जा बाँटे।।

पिजरा भीतर मर खप जाथे, जंगल के राजा रानी।

हमर नैन के सुख बर जू मा, कैद रथे कतको प्रानी।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को कोरबा(छग)

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