Saturday 1 July 2023

सार छंद- होगे मरना भारी

 सार छंद- होगे मरना भारी


खेत रुँधागे सड़क तीर के, होगे मरना भारी।

रहिरहि रोय किसान छेंव के, कइसे बूता टारी।


धरसा के बिन थमके गाड़ा, थमके नाँगर बइला।

छेंव खेत सब होगे बिरथा, चैन खुशी गे अइला।

फारम बनगे सड़क तीर मा, पइधे हें वैपारी।।

खेत रुँधागे सड़क तीर के, होगे मरना भारी।।


सड़क तीर मा जे पइधे हे, ते देखे बन गिधवा।

डहर बाट नइहे कहि डर मा, बेंचैं खेती सिधवा।

चक के चक्कर मा हावय बड़, रुँधना बँधना जारी।

खेत रुँधागे सड़क तीर के, होगे मरना भारी।।


हरिया भर नइ जघा रिता हे, नइ बाँचे हे परिया।

हाय हाय गरु गाय करत हे, गय किसान अउ करिया।

भारी भरकम हे दुख तब ले, चुप शासन अधिकारी।

खेत रुँधागे सड़क तीर के, होगे मरना भारी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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