Saturday 1 July 2023

बजट अउ आम आदमी

 बजट अउ आम आदमी


आँसों  फेर बजट ला, देखत हे आम आदमी।

आसा के आगी मा हाथ, सेकत हे आम आदमी।।


कखरो मुख मा कहाँ, नाम गाँव रथे इंखर,

ये जग मा सबर दिन, नेपत हे आम आदमी।


पेट्रोल डीजल टोल टेक्स, कुछु मा नइहे राहत,

आहत हो गाड़ी कार ला, बेचत हे आम आदमी।।


न कभू मरे न कभू मोटाय, का खाय का बचाय,

घानी के बने बइला तेल, पेरत हे आम आदमी।।


का बड़े का छोटे, सब खाय इंखरे कमाई ला,

अर्थव्यवस्था ला बोहे, लेगत हे आम आदमी।।


देश राज संस्कृति, अउ संस्कार के बन पुजारी।

खुद के ठिहा ठौर ला, लेसत हे आम आदमी।।


पिसाके दू पाटा बीच, तेल नून आँटा बीच,

सब दिन बस पापड़, बेलत हे आम आदमी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


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आम आदमी


सरकार के उपकार मा, हलाल बनके आम आदमी।

बनत रिहिस मसाल पर,मलाल बनगे आम आदमी।।


न ऊपर वाले जाने, ना नीचे वाले कभू माने ,

सिरिफ सपना मा,जलाल बनगे आम आदमी।।


असकटाके गुलामी के बेड़ी मा,नित फंदाय फंदाय,

खास बने के चाह मा, दलाल बनगे आम आदमी।।


शान शौकत के सपना ला, कभू पाँख नइ लगिस,

आन के सुरा शौक बर, कलाल बनगे आम आदमी।


दुबके दुबके नाम गाँव अउ, पद पार के संसो मा,

माँगे बर हक अपन, अलाल बनगे आम आदमी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को कोरबा(छग)


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करजा परजा बर


सत मत धरम करम के, सदा जय होना चाही।

लत लोभ बैर बुराई के घर, प्रलय होना चाही।।


बड़का उही जे गार पछीना पेट परिवार ला पाले,

करजा काट के अमीरी गरीबी, तय होना चाही।।


काबिल के सर मा, सजै सबर दिन ताज तोरण,

चोर चमचा मन के मन मा,डर भय होना चाही।।


नाम नही काम बोले, नेता अफसर अधिकारी के,

छेरी कस फोकटे फोकट नइ मय मय होना चाही।


सजा छूट विधि विधान सबो बर रहै एक बरोबर,

आम आदमी के मन मा झन संसय होना चाही।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया

बाल्को कोरबा(छग)

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