Saturday 1 July 2023

मन अरझगे तरिया के कमल फूल मा-सार छंद

 मन अरझगे तरिया के कमल फूल मा-सार छंद


एक फूल ले दुसर फूल मा, मन बइठे जा जाके।

फँसा डरे हे अपन जाल मा, कमल फूल तरिया के।।


तरिया भीतर फूल पान हा, चौंक पुरे कस लागे।

दुर्योधन कस अहमी मन हा, धोखा खात झपागे।।

हँसे पार अउ पानी खिलखिल, मन दुबके शरमाके।

फँसा डरे हे अपन जाल मा, कमल फूल तरिया के।।


पात पीस के पिये कभू ता, कभू पोखरा खाये।

कभू ढेंस गुण सुन चुन राँधे, कभू फूल लहराये।।

पाँव परे माता लक्ष्मी के, पग मा कमल चढ़ाके।

फँसा डरे हे अपन जाल मा, कमल फूल तरिया के।।


डर देखा नहवइया मन ला, तरिया ले खेदारे।

कहे पोगरी मोर फूल ए, भौंरा तितली हारे।।

सुरुज देख के सँग सँग जागे, सोये सँग संझाके।

फँसा डरे हे अपन जाल मा, कमल फूल तरिया के।।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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