Saturday 1 July 2023

गीत- मानसून

 गीत- मानसून


मान अउ सुन बात मानसून।

रझारझ पानी गिरा, बुलकत हे जून---


तोरेच थेभा मोर, खेती अउ बाड़ी।

तोरेच थेभा मोर, जिनगी के गाड़ी।

घाम बड़ टँड़ेड़त हे, अँउटत हे खून----


तैं आरो देबे ता, मैं हरिया धरहूँ।

जाँगर खपाहूँ, धरती पइयाँ परहूँ।

सोना उपजाहूँ मैं, खा बासी नून---


माटी महतारी के, सेवा धरम मोर।

तोरे संग बँधे हे, बबा करम मोर।

मोर देखे सपना ला,झन तैंहा चून---


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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