लावणी छंद- गीत (कइसन छत्तीसगढ़)
पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया।
अंतर्मन ला पबरित रख अउ, चाल चलन ला कर बढ़िया।
धरम करम धर जिनगी जीथें, सत के नित थामें झंडा।
खेत खार परिवार पार के, सेवा करथें बन पंडा।
मनुष मनुष ला एक मानथें, बुनें नहीं ताना बाना।
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, नोहे ये नारा हाना।
छत्तीगढ़िया के परिभाषा, दानी जइसे औघड़िया।
पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया----
माटी ला महतारी कइथें, गारी कइथें चारी ला।
हाड़ टोड़ के सरग बनाथें, घर दुवार बन बारी ला।
देखावा ले दुरिहा रइथें, नइ जोरो धन बन जादा।
सिधवा मनखे बनके सबदिन, जीथें बस जिनगी सादा।
मेल मया मन माटी सँग मा, ले सेल्फी बस झन मड़िया।
पाटी पागा बपारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया----
कतको दुःख समाये रइथे, लाली लुगा किनारी मा।
महुर मेंहदी टिकली फुँदरी, लाल रचे कट आरी मा।
सुवा ददरिया करमा साल्हो, दवा दुःख पीरा के ए।
महल अटारी सब माटी ए, काया बस हीरा के ए।
सबदिन चमकन दे बस चमचम, जान बूझके झन करिया।
पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया-----
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
*छत्तीसगढ़िया(414) ल मात्रा भार मिलाय के सेती छत्तिसगढ़िया(44) पढ़े के कृपा करहू*
राज स्थापना दिवस के आप सबो ला सादर बधाई
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छत्तीसगढ़ महतारी
मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोरे, पँइया परौं।
नरियर दूबी पान फूल धर, आरती करौं।।
रथे लबालब धान कोटरा, महिमा तोर बड़ भारी।
जंगल झाड़ी नदिया नरवा, आये तोर चिन्हारी।।
तोर डेरउठी मा दियना बन,नित रिगबिग बरौं।।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोरे, पँइया परौं।।
महानदी अरपा के पानी, अमृत सही बोहावै।
साल्हो सुवा ददरिया कर्मा, मन ला तोरे भावै।
सरइ सइगोंन बन नभ अमरौं, गोंदा सही झरौं।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोरे, पँइया परौं।।
होरी हरेली तीजा पोरा, हँस हँस तैं मनवाथस।
सत सुमता के बीजहा बोथस, फरा अँगाकर खाथस।
भौंरा बांटी फुगड़ी खेलौं, जब जब जनम धरौं।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोरे, पँइया परौं।।
बनभैसा के गुँजे गरजना, मैना के किलकारी।
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, जानै दुनिया सारी।
तोर कृपा ले बन खरतरिहा, कोठि काठा भरौं।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोरे, पँइया परौं।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को कोरबा(छग)
राज स्थापना दिवस के आप सबो ला सादर बधाई
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गीत
..........मोर छत्तीसगढ़ महतारी..............
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लोहा धरे हे, कोइला धरे हे ,हीरा धरे हे रे।
तभो मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
हरियर लुगरा लाल होगे।
जंगल - झाड़ी काल होगे।
बैरी लुकाय हे ,पेड़ ओधा म,
निच्चट महतारी के हाल होगे।
होगे धान के , कटोरा रीता।
डोली-डंगरी बेंचागे,बीता-बीता।
घर - घर म, महाभारत माते हे,
रोवत हे देख,सबरी - सीता।
महानदी, अरपा ,पइरी म, आंसू भरे हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बम्लाई , महामाई , का करे?
बाल्मिकी , सृंगी,नइ अवतरे।
नइ मिले अब,धनी-धरमदास,
कोन बीर नारायन,बन लड़े?
कोन संत बने , घासी कस?
कोन राज बनाय,कासी कस?
कोन करे ,सिंगार महतारी के?
कोन सोहे , शुभ गुण रासी कस?
सेवा-सत्कार भूलाके,तोर-मोर म पड़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बर बिरवा बुचवा होगे ,सइगोन-सरई सिरात हे।
पीपर-लीम-आमा तरी मा,अब कोन ह थिरात हे?
गाँव गंवई के नांव भर हे, गंवागे हे सबो गुन रे।
बरा - भजिया भूलागे मनखे, भूलागे बासी-नून रे।
महतारी के गोरिया अंग म,
करिया-करिया केरवस जमगे।
कुंदरा उझरगे, खेत परिया परगे,
उधोग,महल ,लाज,टावर लमगे।
छेद के छाती महतारी के,
लहू ल घलो डुमत हे।
करमा - ददरिया म नइ नाचे,
मंद - मऊहा म झूमत हे।
जतन करे बर विधाता तोला,छ.ग.म गढ़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म पीरा धरे हे रे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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छतीसगढ़ी महतारी भाँखा(गीत)
मोर छत्तीसगढ़िया बेटा बदलगे,बिसरात हे भाँखा बोली।
बड़ई नइ करे अपन भाँखा के,करथे खुद ठिठोली।
गिल्ली भँवरा बाँटी भुलाके,खेले क्रिकेट हाँकी।
माटी ले दुरिहाके संगी,मारत रइथे फाँकी।
चिरई के पिला चींव चींव कइथे,कँउवा के काँव काँव।
गइया के बछरू हम्मा कइथे,हुँड़ड़ा के हाँव हाँव।
मंदरस कस गुरतुर बोली मा,मिंझरत हे अब गोली।
मोर छत्तीसगढ़िया बेटा बदलगे,बिसरात--------।
हटर हटर जिनगी भर करे,छोड़े मीत मितानी।
देखावा हा आगी लगे हे,मारे बड़ फुटानी।
पाके माया गरब करत हे,बरोवत हवे पिरीत ला।
नइ जाने दया मया ला,तोड़त हावय रीत ला।
होटल ढाबा लॉज ह भाये,नइ भाये रँधनी खोली।
मोर छत्तीसगढ़िया बेटा बदलगे,बिसरात--------।
सनहन पेज महिरी बासी,अउ अँगाकर नइ खाये।
अपन मुख ले अपन भाँखा के,गुण घलो नइ गाये।
छत्तीसगढ़ महतारी के अब,कोन ह नाँव जगाही।
हमर छोड़ अउ कोन भला,छत्तीसगढ़िया कहाही।
तीजा पोरा ल काय जानही,नइ जाने देवारी होली।
मोर छत्तीसगढ़िया बेटा बदलगे,बिसरात-------।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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लावणी छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं
मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं।
पीके नरी जुड़ालौ सबझन,सबके मिही निसानी औं।
महानदी के मैं लहरा औं,गंगरेल के दहरा औं।
मैं बन झाड़ी ऊँच डोंगरी,ठिहा ठौर के पहरा औं।
दया मया सुख शांति खुसी बर,हरियर धरती धानी औं।
मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं-----।
बनके सुवा ददरिया कर्मा,मांदर के सँग मा नाचौं।
नाचा गम्मत पंथी मा बस,द्वेष दरद दुख ला बॉचौं।
बरा सुहाँरी फरा अँगाकर,बिही कलिंदर चानी औं।
मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं-।
मैं गेंड़ी के रुचरुच आवौं, लोरी सेवा जस गाना।
झाँझ मँजीरा माँदर बँसुरी,छेड़े नित मोर तराना।
रास रमायण रामधुनी मैं, मैं अक्ती अगवानी औं।
मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं-।
ग्रंथ दान लीला ला पढ़लौ,गोठ सियानी ला गढ़लौ।
संत गुनी कवि ज्ञानी मनके,अन्तस् मा बैना भरलौ।
मिही अमीर गरीब सबे के,महतारी अभिमानी औं।
मैं छत्तीसगढ़ी बानी औं, गुरतुर गोरस पानी औं--।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा
💐छत्तीसगढ़ी बोलव, लिखवा अउ पढ़व💐
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस के आप सबला बहुत बहुत बधाई