Monday, 29 July 2024

सावन क्वीन-लावणी छंद

 सावन क्वीन-लावणी छंद


असली सावन क्वीन हरे हाँ, वो बहिनी महतारी मन।

धानी धरती के बेटी बन, जे सिधोय घर बारी बन।।


बिजुरी चमकै बादर गरजै, झरै रझारझ रझ पानी।

तभो करैं नित हॅंस सब बूता, मीठ मीठ बोलत बानी।।

नींदे कोड़े खेत खार ला, माटी महतारी मा सन।

असली सावन क्वीन हरे हाँ, वो बहिनी महतारी मन।।


देख दिखावा ले दुरिहा रहि, करम करत रहिथें सबदिन।

खेवनहार बने कलजुग के, सुरताये नइ एको छिन।।

अंतस तक हा हरियर रहिथे,फरिहर रहिथे मन अउ तन।

असली सावन क्वीन हरे हाँ, वो बहिनी महतारी मन।


सास ससुर ले दुरिहा हावै, जाने नइ घर बन जेहा।

सावन क्वीन हरौं मैं कहिके, नाचत गावत हे तेहा।।

फोटू खिंचा खिंचा हाँसत हें, साज सँवागा मा बन ठन।

असली सावन क्वीन हरे हाँ, वो बहिनी महतारी मन।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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