दुर्मिल सवैया-मजदूर
मजदूर रथे मजबूर तभो दुख दर्द जिया के उभारय ना।
पर के अँगना उजियार करे खुद के घर दीपक बारय ना।
चटनी अउ नून म भूख मिटावय जाँगर के जर झारय ना।
सिधवा कमियाँ तनिया तनिया नित काज करे छिन हारय ना।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
तन बिरबिट करिया हवै, हाथ परे हे लोर।
मोर काम ला झन छिनौं,बिनती हे कर जोर।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
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