Tuesday, 2 July 2024

गीत-पतझड़

 गीत-पतझड़


आथे पतझड़ दे जाथे संदेश रे भैया।

पाके पाना पतउवा ला फेक।।


बनना हे बढ़िया ता, तज दे विकार ला।

अपन बूता खुद कर, झन देख चार ला।

आवत जावत रहिथे, सुख दुख के बेरा।

समय मा चलबे ता, कटथे घन घेरा।।

विधि विधना ला, माथा टेक रे भैया।

पाके पाना पतउवा ला फेक-----


राम अउ माया, संग मा नइ मिले।

सदा दिन बिरवा मा, फुलवा नइ खिले।

परसा सेम्हर, पात झर्रा मुस्काथे।

फागुन महीना, पुरवा संग गाथे।

पूरा पानी ला झन कभू छेक रे भैया।

पाके पाना पतउवा ला फेक-----


नाहे धोये मा नइ, अन्तस् धोवाये।

मन ला उजराये ते, ज्ञानी कहाये।

मन हावै निर्मल ता, जिनगी हे चोखा।

करबे देखावा ता, खुद खाबे धोखा।

देथे प्रकृति संदेशा नेक रे भैया।

पाके पाना पतउवा ला फेक----


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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